तमिलनाडु में नवपाषाण युगीन बच्चों की कब्रगाह की खोज
हाल ही में मद्रास विश्वविद्यालय के प्राचीन इतिहास और पुरातत्व विभाग के छात्रों और प्रोफेसरों ने चेंगलपट्टू के चेट्टिमेदु पाथुर में एक बच्चे के प्राचीन दफन स्थल का पता लगाया है।
इस कंकाल के बगल में एक बर्तन पाया गया है, जिसे नवपाषाण काल का बताया गया है।
नवपाषाण काल के जले हुए लाल मृदभांड, जले हुए भूरे मृदभांड और लंबी गर्दन तथा चौड़े मुंह वाले लाल मृदभांड के कई टुकड़े भी पाए गए हैं।
यह पहली बार है तमिलनाडु के इस क्षेत्र में इस प्रकार के पुरावशेष मिले हैं।
नव पाषाण काल (Neolithic age) के बारे में:
नवपाषाणकाल का अर्थ एक ऐसा युग से है जो पाषाण काल के सबसे अंत में आया और मानवीय जीवन को स्थायी रूप से परिवर्तित कर दिया।
नवपाषाण युग की शुरुआत का काल पुरे विश्व में एक समान नहीं हुआ है।
भारत में इसका काल की शुरुआत 4000 ई.पू. से 2500 ई.पू के आस पास मानी जाता है।
दक्षिण भारत में इसे 1000 ई.पू के आस पास माना जाता है।
नवपाषाणकाल शब्द का प्रयोग सर्वप्रथम जान लुवाक ने वर्ष 1865 में अपनी पुस्तक 'प्री हिस्टोरिक टाइम्स' में किया था ।
गार्डन चाइल्ड ने नव पाषाण काल के लिए क्रांति शब्द का प्रयोग किया है क्योंकि मानव का खानाबदोश शिकारी जीवन परिवर्तित होकर स्थायी हो गया।
गार्डन चाइल्ड ने इसे अन्न उत्पादक अर्थव्यवस्था के रूप में वर्णित किया है।
नवपाषाण काल के प्रथम प्रस्तर उपकरण को उ. प्र. के टोंस नदी घाटी में सर्वप्रथम 1860 ई. लेन्मेसुरियर ने प्राप्त किया गया।
भारतीय उपमहाद्वीप में नवपाषाण युगीन प्राचीनतम बस्ती पाकिस्तान में स्थित ब्लूचिस्तान प्रान्त में मेहरगढ़ में है।
नवपाषाण काल की प्रमुख विशेषताएं:
खेती की शुरूआत।
ओखली, मूसल एवं सिलवट्टे का प्रयोग।
पहिए का आविष्कार हुआ।
मृदभाण्ड का निर्माण।
उपकरण सुडौल, सूक्ष्म व पालिश युक्त।
कुठारी एवं कुल्हाड़ी इस युग प्रमुख उपकरण।
श्रम विभाजन।
व्यक्तिगत सम्पत्ति की भावना का विकास।
समाज पितृसत्तात्मक।
मातृदेवी की उपासना प्रारम्भ।
पुनर्जन्म में विश्वास ।
ग्राम्य संस्कृति।
कास्ययुगीन शहरी संस्कृति।
शावाधान संस्कार आदि।
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