Q1: Discuss How Finance commission plays a proactive role in strengthening Fiscal relationship between center and state? (125 words / 8 Marks)
केंद्र और राज्य के बीच वित्तीय संबंधों को मजबूत करने में वित्त आयोग कैसे सक्रिय भूमिका निभाता है| चर्चा कीजिये| (125 शब्द / 8 अंक)
एप्रोच -
उत्तर की शुरुआत वित्त आयोग का सामान्य परिचय देते हुए कीजिये|
-इसके पश्चात वित्त आयोग के कार्यों को बताते हुए उत्तर को विस्तारित कीजिये|
पुनः वित्त आयोग द्वारा देश में राजकोषीय संघवाद या केंद्र-राज्य सम्बन्ध की चर्चा कीजिये|
अंत में आयोग की अनुशंषा शक्ति को बताते हुए उत्तर का समापन कीजिये|
उत्तर-
-वित्त आयोग
यह भारत के संविधान के अनुच्छेद 280 के प्रावधानों के तहत भारत के राष्ट्रपति द्वारा पांच वर्षों के लिए बनाया जाने वाला आयोग है। यह केंद्र सरकार के कुल कर संग्रह में राज्य सरकारों की हिस्सेदारी के बारे में निर्णय लेता है। वर्तमान में 14वें वित्त आयोग का कार्यकाल चल रहा है। इसके प्रमुख आरबीआई के भूतपूर्व गवर्नर श्री वाई. वी. रेड्डी हैं। 14वें वित्त आयोग की अवधि 2015 से 2020 है।
वित्त आयोग के कार्य:
वित्त आयोग के मुख्य कार्य हैं–
(i) केंद्र और राज्यों के बीच साझा किए जाने वाले करों से होने वाली शुद्ध आमदनी का वितरण और राज्यों को ऐसी आमदनी आवंटित करना।
(ii) केंद्र द्वारा राज्यों को अनुदान के भुगतान को नियंत्रित करने वाले सिद्धांत बनाना।
(iii) केंद्र और राज्यों के बीच वित्तीय संबंधों से संबंधित कोई अन्य मामला।
इसलिए इसका मुख्य कार्य केंद्र सरकार को उसके द्वारा लगाए गए करों को राज्यों के साथ कैसे साझा किया जाए, पर अपनी राय देना है। ये अनुशंसाएं पांच वर्षों की अवधि को कवर करती हैं। द्वारा केंद्र भारत के संचित निधि में से राज्यों को कैसे अनुदान देना चाहिए, के बारे में भी आयोग नियम बनाता है। साथ ही आयोग को राज्यों के संसाधनों को बढ़ाने हेतु उपाय और पंचायतों एवं नगरपालिकाओं के संसाधनों के पूरक हेतु उपाय सुझाना होता है।
वर्तमान में 14वें वित्त आयोग का कार्यकाल चल रहा है। इसके प्रमुख आरबीआई के भूतपूर्व गवर्नर श्री वाई. वी. रेड्डी हैं। इस वित्त आयोग ने केंद्र सरकार के कर संग्रह में से राज्यों को 42% हिस्सेदारी दिए जाने की सिफारिश की है।
वित्त आयोग द्वारा देश में राजकोषीय संघवाद या केंद्र-राज्य सम्बन्ध
संविधान में परिकल्पित संघीय ढांचे के तहत, ज्यादातर कराधान शक्तियां केंद्र के पास है लेकिन थोक खर्चे राज्यों द्वारा किए जाते हैं। ऐसे संघीय संरचना में केंद्र, जो आयकर और उत्पाद शुल्क एवं सीमा शुल्क जैसे अप्रत्यक्ष करों के रूप में कर लगाता और बसूल करता है, से संसाधनों के राज्यों को हस्तांतरित किए जाने की आवश्यकता होती है। इसलिए राज्य की आबादी, राज्य की राजकोषीय स्थिति, राज्य का वन क्षेत्र, आमदनी का अंतर(income disparity) और क्षेत्रफल के आधार पर विभिन्न राज्यों के बीच संसाधनों का उचित आवंटन आवश्यक है। इस प्रकार के उचित आवंटन द्वारा वित्त आयोग राज्यों और केंद्र के बीच टकराव होने से रोक सकता है।
आयोग की अनुशंसा की शक्ति
संविधान, सरकार पर वित्त आयोग की अनुशंसाओं को बाध्यकारी नहीं बनाता। हालांकि, यह ठोस मिसाल है कि सरकार जहां तक राजस्व के साझा किए जाने का प्रश्न है, आमतौर पर आयोग की अनुशंसाओं को मान लेती है। केंद्रीय करों एवं शुल्कों और अनुदान के वितरण से संबंधित ये अनुशंसाएं सामान्यतया राष्ट्रपति के आदेश से लागू होती है।
2021 Simplified Education Pvt. Ltd. All Rights Reserved