Back to Blogs

SHIKHAR Mains Day 22 Model Answer Hindi

Updated : 6th Jul 2023
SHIKHAR Mains Day 22 Model Answer Hindi

Q1: उत्तर प्रदेश में क्रांतिकारी आंदोलन के प्रयासों को संक्षेप में लिखिए 

 

एप्रोच - 

  • भूमिका में  क्रांतिकारी आंदोलन के प्रारंभ को लिखिए । 

  • पुन:क्रांतिकारी आंदोलन का उदय क्यों को स्पष्ट कीजिए 

  • उत्तर प्रदेश में क्रांतिकारी गतिविधियों का उल्लेख कीजिए । 

  • अंत में उचित निष्कर्ष लिखिए । 

उत्तर :

राष्ट्रीय चेतन के प्रसार तथा ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन से मुक्ति के कई तरीकों/विचारधारा /माध्यम  में से क्रांतिकारी आंदोलन एक माध्यम था । बम और पिस्तौल की नीति तथा आत्मोत्सर्ग की भावना  के माध्यम से राष्ट्रीय चेतना के प्रसार को माध्यम बनाया ।  भारत में क्रांतिकारी आन्दोलन का प्रारंभ 22 जून 1897 से माना जाता है जब पूना में चापेकर बंधुओं ने ‘रैंड’ और आयर्स्ट की हत्या की। प्रारंभ में बंगाल और महाराष्ट्र आन्दोलन के मुख्य केन्द्र थे। द्वितीय विश्वयुद्ध के पश्चात् क्रांतिकारी आन्दोलन का प्रसार उत्तर प्रदेश में हुआ।

 

  • गांधी जी द्वारा आसहयोग आंदोलन के दौरान 1 वर्ष मे भारत की आजादी की बात की गई थी । जिसमे जनता विशेषकर युवा वर्ग  ने बढ़ चढ़ भाग लिया । चौरी चौरा घटना के कारण आसहयोग आंदोलन को स्थगित कर दिया गया । इससे अहिंसक आन्दोलन की विचारधारा से युवकों का विश्वास उठ गया ।

  • युवाओं की यकीन हो गया की राष्ट्र की स्वतंत्रता आत्मोत्सर्ग तथा  बम और पिस्तौल के माध्यम से प्राप्त की जा सकती है । 

  • रूस की क्रांति और साम्यवाद के उदय से युवा काफी प्रभावित थे

उत्तर प्रदेश में क्रांतिकारी गतिविधियाँ 

  •  राम प्रसाद ‘बिस्मिल’, योगेश चटर्जी और शचीद्रनाथ सान्याल जैसे पुराने क्रांतिकारियों ने 1924 में कानपुर में क्रांतिकारी युवाओं के सम्मेलन का आयोजन किया । इस सम्मेलन में क्रांतिकारियों को संगठित करने के लिए   ‘हिन्दुस्तान रिपब्लिक एसोसिएशन’ (H. R. A.) का गठन किया गया । सन् 1924 से लेकर 1931 तक इस संगठन का पूरे भारतवर्ष में प्रभाव रहा ।

  • इस संगठन का उद्देश्य सशस्त्र क्रांति के माध्यम से ब्रिटिश शासन से स्वतंत्रता और एक संघीय गणतंत्र “संयुक्त राज्य भारत” की स्थापना करना था।

  • संगठन की वित्तीय आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए  9 अगस्त 1925 को लखनऊ जिले के काकोरी रेलवे स्टेशन के पास 8 डाउन सहारनपुर-लखनऊ पैसेन्जर ट्रेन मे रखे ब्रिटिश खजाना को लूट लिया गया । 

  • काकोरी काण्ड मुकदमें में राजेन्द्रनाथ लाहिड़ी, राम प्रसाद बिस्मिल, अशफाक उल्ला खाँ तथा रोशन सिंह को फाँसी सजा दी गयी जबकि अन्य क्रान्तिकारियों को 4 वर्ष की सजा से लेकर अधिकतम आजीवन कारावास तक का दण्ड दिया गया।चंद्रशेखर आजाद ने  फरार होकर भूमिगत आंदोलन को जारी रखा । 

  • काकोरी कांड की घटना के बाद युवाओं संघर्ष को जारी रखने के उद्देश्य से 9-10 दिसम्बर 1925 को दिल्ली के फिरोजशाह कोटला मैदान में एक बैठक का आयोहन किया । 

  • फिरोजशाह कोटला बैठक में हिंदुस्तान रिपब्लिक एसोसिएशन का नाम बदलकर “हिन्दुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन” कर दिया गया।

  • क्रांतिकारियों की कोटला बैठक में सामहिक नेतृत्व को स्वीकार किया गया।  

  • हिंदुस्तान सोशलिस्ट  रिपब्लिकन एसोसिएशन का उद्देश्य भारत में एक समाजवादी, गणतंत्रवादी राज्य की स्थापना करना था। 

  • साइमन कमीशन के विरोध मे लाल लाजपत राय की मृत्यु गई जिसका बदला  लेने के लिए सहायक पुलिस अधीक्षक सांडर्स की 17 दिसंबर 1928 को भगत सिंह, चंद्र शेखर आज़ाद तथा राजगुरु द्वारा लाहौर में हत्या कर दी गई । यह हिन्दुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन -HSRA की पहली क्रांतिकारी गतिविधि थी।

  • 1929 में पब्लिक सेफ्टी बिल और ट्रेड डिसप्यूट बिल के विरोध में भगत सिंह और बटुकेश्वर दत्त ने सेन्ट्रल लेजिस्लेटिव असेम्बली में बम फेंका। इस कार्य में उत्तर प्रदेश के शिव वर्मा और जयदेव कपूर ने उनका सहयोग किया था।

  • भगत सिंह और बटुकेश्वर दत्त दोनों को गिरफ्तार कर केंद्रीय असेंबली बम कांड के अंतर्गत मुकदमा चलाया गया। 

  • बाद में इस संगठन के अन्य सदस्यों को भी गिरफ्तार कर कुल 16 क्रांतिकारियों के ऊपर लाहौर षड्यंत्र कांड के अंतर्गत मुकदमा चलाया गया।

  • इसी बीच फरवरी 1931 में इलाहाबाद के अल्फ्रेड पार्क में मुठभेड़ के दौरान चन्द्रशेखर आजाद शहीद हो गए।

  •  भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव को फांसी की सजा दी गई। इन तीनों को 23 मार्च, 1931 को फांसी दे दी गई।

राष्ट्रीय आंदोलन के विकास में  क्रांतिकारियों ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई । इन्होंने साहसिक गतिविधियों ,राष्ट्र के प्रति समर्पण व प्रतिबद्धता ,आत्मोत्सर्ग  के माध्यम से राष्ट्रीय भावना को उत्तर प्रदेश सहित समस्त भारत की जनता को प्रेरित किया। 

 

Q2: भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में मदन मोहन मालवीय के योगदान की चर्चा करें।

Discuss the contributions of Madan Mohan Malviya in the Indian freedom struggle.       12 Marks

दृष्टिकोण: 

  • परिचय में मदन मोहन मालवीय के बारे में संक्षेप में लिखें।
  • भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में मदन मोहन मालवीय की भूमिका को लिखें।
  • निष्कर्ष लिखें।

उत्तर: 

मदन मोहन मालवीय महान शिक्षाविद्, बेहतरीन वक्ता और एक प्रसिद्ध राष्ट्रीय नेता थे तथा स्वतंत्रता संग्राम में एक महत्वपूर्ण व्यक्ति थे। उन्होंने स्वतंत्रता संग्राम आंदोलनों, उद्योगों को बढ़ावा देने, देश के आर्थिक और सामाजिक विकास में योगदान देने, शिक्षा, धर्म, सामाजिक सेवा, हिंदी भाषा के विकास और राष्ट्रीय महत्त्व से संबंधित कई अन्य गतिविधियों में हिस्सा लिया।

महात्मा गांधी ने उन्हें 'महामना' की उपाधि दी थी और भारत के दूसरे राष्ट्रपति डॉ. एस. राधाकृष्णन ने उन्हें 'कर्मयोगी' का दर्जा दिया था।

  • स्वतंत्रता संग्राम में भूमिका:
    • गोपाल कृष्ण गोखले और बाल गंगाधर तिलक दोनों का ही अनुयायी होने के कारण उन्हें स्वतंत्रता संग्राम में क्रमशः उदारवादी और राष्ट्रवादी तथा नरमपंथी एवं गरमपंथी दोनों के बीच की विचारधारा का नेता माना जाता था।
    • स्वदेशी आंदोलन: मालवीय ने स्वदेशी आंदोलन के प्रमुख वक्तव्यों में अहम भूमिका निभाई। उन्होंने स्वदेशी वस्त्रों का उत्पादन और उपयोग प्रोत्साहित किया और विदेशी वस्त्रों के बहिष्कार की अभियान में सक्रियता दिखाई। उन्होंने यहां तक कहा था कि "एक स्वदेशी बनाना अगर यही स्वदेशी है, तो एक ही दिन का समय है कि उसे अपनाया जाए।
    • वर्ष 1930 में जब महात्मा गांधी ने नमक सत्याग्रह और सविनय अवज्ञा आंदोलन शुरू किया, तो उन्होंने इसमें सक्रिय रूप से हिस्सा लिया और गिरफ्तार भी हुए।
  • काॅन्ग्रेस में भूमिका:
    • उन्हें वर्ष 1909, वर्ष 1918, वर्ष 1932 और वर्ष 1933 में कुल चार बार काॅन्ग्रेस कमेटी के अध्यक्ष के रूप में चुना गया था।
      • वर्ष 1933 में निर्वाचित अध्यक्ष मदन मोहन मालवीय की गिरफ्तारी के बाद नेली सेनगुप्त काॅन्ग्रेस की अध्यक्ष चुनी गईं।
  • योगदान:
    • मालवीय जी को ‘गिरमिटिया मज़दूरी’ प्रथा को समाप्त करने में उनकी भूमिका के लिये याद किया जाता है।
  • हरिद्वार के भीमगोड़ा में गंगा के प्रवाह को प्रभावित करने वाली ब्रिटिश सरकार की नीतियों से आशंकित मालवीय जी ने वर्ष 1905 में गंगा महासभा की स्थापना की थी।
  • वे एक सफल समाज सुधारक और नीति निर्माता थे, जिन्होंने 11 वर्ष (1909-1920) तक 'इम्पीरियल लेजिस्लेटिव काउंसिल' के सदस्य के रूप में कार्य किया।
  • मालवीय जी के प्रयासों के कारण ही देवनागरी (हिंदी की लिपि) को ब्रिटिश-भारतीय अदालतों में पेश किया गया था।
  • उन्होंने हिंदू-मुस्लिम एकता को बनाए रखने की दिशा में भी महत्त्वपूर्ण कार्य किया। उन्हें सांप्रदायिक सद्भाव से संबंधित विषयों पर भाषण देने के लिये जाना जाता था।
  • जातिगत भेदभाव और ब्राह्मणवादी पितृसत्ता पर अपने विचार व्यक्त करने के लिये उन्हें ब्राह्मण समुदाय से बाहर कर दिया गया था।
  • उन्होंने वर्ष 1915 में हिंदू महासभा की स्थापना में भी महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा की थी।
  • मालवीय जी ने वर्ष 1916 में बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) की स्थापना की थी।

मदन मोहन मालवीय ने अपने व्यक्तिगत और नेतृत्व के योगदान के माध्यम से भारतीय स्वतंत्रता संग्राम को मजबूती और मोटी बनाया। उनके प्रयासों ने लोगों को जागरूक बनाया, स्वदेशी आंदोलन को मजबूती प्रदान की और राष्ट्रीय आजादी की लड़ाई में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उनका योगदान भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास में महत्वपूर्ण माना जाता है।