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SHIKHAR Mains 2023 Day 39 Model Answer Hindi

Updated : 7th Aug 2023
SHIKHAR Mains 2023 Day 39 Model Answer Hindi

Q1: नाटो क्या है? इसके उद्देश्य और कार्यों की विस्तारपूर्वक चर्चा कीजिए।

        What is NATO? What are the objectives and functions of it?       8 Marks

 

दृष्टिकोण -

  • भूमिका में नाटों के विषय में लिखिए । 

  • नाटो के उद्देश्यों को लिखिए |

  • नाटो के कार्यों को लिखते हुवे उत्तर समाप्त कीजिए |

उत्तर:         

   उत्तरी अटलांटिक संधि संगठन (नाटो)  सामूहिक रक्षा सिद्धांत पर आधारित एक अंतर सरकारी सैन्य संगठन है जिसकी स्थापना 12 संस्थापक सदस्यों द्वारा 4 अप्रैल 1949 को वाशिंगटन में किया गया था । जिसका मुख्यालय ब्रूसेल्स (बेल्जियम )में है । वर्तमान में इसमें 30 सदस्य देश शामिल है ।

नाटो के उद्देश्य -

  • शुरुवाती दौर में इसका उद्देश्य सोवियत संघ की साम्यवादी विचारधारा  को रोकना था । 

  • आतंकवाद को किसी भी मूल्य पर स्वीकार न करना तथा लोकतांत्रिक मूल्यों को बढ़ावा देना और सदस्य देशों की समस्याओं को हल करना । 

  • आपसी विश्वास कायम करना तथा संघर्ष को रोकने के लिये रक्षा एवं सुरक्षा से संबंधित मुद्दों पर परामर्श व सहयोग प्रदान करना । 

  • सदस्य देशों के विवादों के शांतिपूर्ण समाधान प्रस्तुत करना तथा राजनयिक प्रयास विफल होने की  स्थिति में सैन्य शक्ति का प्रयोग कर समस्या समाधान करना।

  • किसी भी सदस्य देश को राष्ट्रीय सुरक्षा के मामले में निर्धारित प्राथमिक उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिये अपनी पूरी क्षमता का उपयोग करने के लिये मजबूर ना करना

  • अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर उत्पन्न होने वाले नए खतरों से निपटने हेतु  सामूहिक रक्षा प्रदान करने के साथ -साथ संकट प्रबंधनात्मक सुरक्षा को प्रोत्साहित करना। 

नाटो के कार्य:

  • आतंकवादी हमले से उपजे संकट को प्रबंधित करने के लिए क्षमताओं और प्रौद्योगिकियों का विकास करता है जैसे - अफगानिस्तान में गैर युद्ध मिशन तथा संकल्प सहायता मिशन के माध्यम से सैन्य बलों को प्रशिक्षण ,कानून व्यवस्था लागू करना आदि कार्य कर रहा है ।  

  • अफगानिस्तान में लंबे समय से चल रहे संघर्ष के पश्चात् 29 फरवरी, 2020 को अमेरिका और तालिबान ने "शांति के लिये एक समझौता" पर हस्ताक्षर किए हैं। 

  • नाटो परिषद के निर्णय से भूमध्य सागर में समुद्री सुरक्षा के तहत  "सी गार्जियन" नाम से एक समुद्री सुरक्षा अभियान शुरू किया तथा नाटो ने संयुक्त राष्ट्र के अनुरोध पर अफ्रीका के हॉर्न और हिंद महासागर में अदन की खाड़ी में समुद्री डकैती से निपटने के अंतर्राष्ट्रीय प्रयासों का समर्थन किया। 

  • नाटो,नि:शस्रीकरण ,हथियारों के नियंत्रण और इसके अप्रसार तथा रणनीतिक स्थिरता और सामूहिक सुरक्षा के लिए कार्य कर रहा है । जैसे अफ्रीकी संघ के साथ अफ्रीकी स्टैंडबाई फोर्स (एएसएफ)  का गठन ,सोमालिया में अफ्रीकी संघ मिशन (AMISOM) के लिये समर्थन  आदि ।      

  • इराक में सुरक्षा बलों तथा रक्षा और राष्ट्रीय रक्षा अकादमियों की क्षमता निर्माण के लिए 2018 मे एक प्रशिक्षण मिशन शुरू किया गया । 

  • नाटो स्काई पुलिस की स्थापना कर रहा है जो  विशुद्ध रूप से रक्षात्मक मिशन है, जिसमें इंटरसेप्टर की निरंतर उपस्थिति शामिल है जो उल्लंघन और संक्रमण की स्थिति में तुरंत प्रतिक्रिया करने में सक्षम है।

  • नाटो लोकतान्त्रिक मूल्यों को बढ़ाने ,सदस्य देशों की समस्याओं का समाधान और परामर्श देने का कार्य करता है जैसे - इस्तांबुल सहयोग पहल , संकट प्रबंधन अभ्यास, KFOR (कोसोवो फोर्स) आदि ।

 

 

Q2: भारत के सामरिक हितों पर रूस-यूक्रेन युद्ध के प्रभावों और मौजूदा संकट पर भारत की प्रतिक्रिया पर चर्चा कीजिए।

Discuss the impacts of Russia-Ukraine war on India's strategic interests and India's response to the ongoing crisis. (12 marks)

 

दृष्टिकोण 

  • भूमिका में रूस और यूक्रेन के बीच  युद्ध शुरू होने से समबंधित बिन्दुओ का उल्लेख कीजिए । 

  • भारत की प्रतिक्रिया के समक्ष चुनौतियां क्या है लिखिए । 

  • अंत में भारत की प्रतिक्रिया लिखते हुए उचित निष्कर्ष लिखिए । 

उत्तर -

 

रूस-यूक्रेन युद्ध 20 फरवरी 2022 से शुरू हुआ था। वर्तमान युद्ध की जड़ें तीन बिंदुओं पर आधारित हैं, यथा-

  • यूक़ेन द्वारा रूस के साथ स्थापित सांस्कृतिक संबंधों को समाप्त करने का प्रयास,

  • यूक्रेन के स्वायत्त अस्तित्व की रक्षा करना और

  • रूस-नाटो के प्रत्यक्ष प्रभाव क्षेत्रों से बाहर होने के साथ साथ तत्कालीन सोवियत संघ क्षेत्र में उत्तरी अटलांटिक संधि संगठन (NATO) का बढ़ता प्रभाव।

 

भारत की प्रतिक्रिया के समक्ष चुनौतियां

 

  • रूस और अमेरिका के बीच संतुलन बनाए रखना: भारत के रूस और अमेरिका दोनों के साथ अच्छे संबंध हैं। इनमें से किसी एक देश का के पक्ष लेने से दूसरे के साथ भारत के संबंध खराब हो सकते हैं।

  • हालांकि, भारत ने पूर्वी यूरोप के सुदूर संघर्ष पर अपनी तटस्थता बनाए रखी है। भारत सरकार ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में यूक्रेन के मुद्दे पर मतदान में भाग नहीं लिया था।

  • रूस-चीन का और करीब आना: रूस पहले से ही हिंद-प्रशांत अवधारणा और क्वाड को शीत युद्ध की गुटवादी राजनीति के पुनः उदय के रूप में देखता आ रहा है। वह इन्हें अपने एशिया-प्रशांत हितों के खिलाफ मानता है। यूक्रेन के साथ किसी भी संघर्ष और रूस-पश्चिम संबंधों के टूटने के परिणामस्वरूप इस अवधारणा और मंच पर रूसी विरोध को मजबूती मिलेगी, जो भारत को अमेरिका के करीब जाने के लिए बाध्य करेगी।

  • रूस में भारत का निवेश: रूस के ऊर्जा क्षेत्र और इसके सुदूर पूर्व के विकास की नीति में, भारत की योजनाएं सामान्य रूप से बाधित हो जाएंगी। यह जटिल अमेरिकी प्रतिबंधों का उल्लंघन करने के लिए निजी क्षेत्र की अनिच्छा और स्विफ्ट से रूसी बैंकों के बहिष्कार के कारण होगा।

  • रूस के साथ हथियारों का व्यापार: रूस भारत का प्रमुख हथियार आपूर्तिकर्ता बना हुआ है।

    • स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट (SIPRI) के आंकड़ों के अनुसार, रूस की वर्ष 2017-21 के मध्य भारत के हथियारों के कुल आयात में 46% की हिस्सेदारी रही है। ध्यातव्य है कि वर्ष 2012-16 में यह योगदान 69% था।

 

भारत की प्रतिक्रिया

  • भारत ने रुस यूक्रेन युद्ध सम्बंधित सभी प्रस्तावों पर मतदान न करने का निर्णय लिया है।

  • ये सिद्धांत अंतर्राष्ट्रीय मानदंडों और सिद्धांतों के आधार पर एक सुरक्षित और स्थायी समाधान की दिशा में कार्य करते हैं।

  • भारत द्वारा किसी भी पक्ष की निंदा से दूर रहने और हथियार प्रदान करने की बजाय मानवीय राहत और सहायता प्रदात करने पर बल दिया गया रहा है। उदाहरण के लिए- भारत द्वारा यूक्रेन को मानवीय सहायता प्रदान (90 टन वस्तु एवं आवश्यक सामग्री के रूप में) की गई है।

  • यह वैश्विक उथल-पुथल के दौर में रणनीतिक स्वायत्तता और साझा उत्तरदायित्व के माध्यम से शांतिपूर्ण समाधान तक पहुंचने के महत्व को रेखांकित करता है।

भारत ने दोनों पक्षों से हिंसा और शत्रुता को तत्काल समाप्त करने और संवाद और कूटनीति के रास्ते पर लौटने का आग्रह किया है।