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SHIKHAR Mains 2023 Day 15 Model Answer - Hindi

Updated : 24th Jun 2023
SHIKHAR Mains 2023 Day 15 Model Answer - Hindi

Q1: विद्युत गतिशीलता (ई-मोबिलिटी) के महत्व और भारत में विद्युत गतिशीलता (ई-मोबिलिटी) को प्रोत्साहित करने के लिए सरकार द्वारा उठाए जा रहे क़दमों की व्याख्या कीजिए।    8 marks

Explain the importance of electric mobility and the steps being taken by the government to promote electric mobility in India.

 

दृष्टिकोण:

  • उत्तर की शुरुआत विद्युत गतिशीलता का सामान्य परिचय देते हुए कीजिए।
  • इसके पश्चात विद्युत गतिशीलता के महत्व की चर्चा करते हुए उत्तर को विस्तारित कीजिए।
  • अंत में विद्युत गतिशीलता को प्रोत्साहित करने के लिए सरकार द्वारा उठाए गए कदमों की चर्चा करते हुए उत्तर का समापन कीजिए।

 

उत्तर:

 

विद्युत गतिशीलता में परिवहन के लिए एक या अधिक विद्युत चलित वाहनों का उपयोग करना शामिल है। वर्तमान में, विद्युत आधारित परिवहन छोटी दूरी की यात्राओं और कम वजन (साइकिल, स्कूटर और इलेक्ट्रिक मोटरसाइकिल के साथ) के साथ-साथ लंबी दूरी की यात्राओं तथा भारी वजन (इलेक्ट्रिक सार्वजनिक परिवहन वाहनों के साथ) हेतु समाधान प्रदान करती है। पर्यावरण के प्रति बढ़ती चिंताओं के कारण भारत में विद्युत चलित वाहनों की मांग बढ़ने की संभावना है।

 

मुख्य भाग:

भारत में विद्युत चलित वाहनों की बिक्री में वित्त वर्ष 2018-19 की तुलना में वित्त वर्ष 2019-2020 में 20 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है। हाल के एक अध्ययन में यह बात सामने आई है कि 2022 तक, भारत में अधिकांश उपभोक्ता विद्युत चलित वाहन खरीदने पर विचार करेंगे।

 

विद्युत गतिशीलता का महत्व:

  • विद्युत चलित वाहनों की संख्या में वृद्धि भारत के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है क्योंकि ऐसे वाहन लंबे समय में टिकाऊ और लाभदायक होते हैं।
  • विद्युत चलित वाहनों को अपनाने से कच्चे तेल के आयात में कमी आएगी और घरेलू ऊर्जा स्वतंत्रता सुनिश्चित होगी तथा कार्बन उत्सर्जन को कम करने में मदद मिलेगी।   
  • PM 2.5 सांद्रता के मामले में दुनिया के 15 सबसे प्रदूषित शहरों में से 14 शहर भारत के हैं। विद्युत गतिशील वाहनों को अपनाने से देश को लाभ होगा क्योंकि इससे वाहनों से होने वाले उत्सर्जन में काफी कमी आएगी।
  • विद्युत चलित वाहनों को अपनाना आर्थिक और पर्यावरणीय रूप से व्यवहार्य विकल्प है।
  • विद्युत चलित वाहनों को अपनाना शहरों को स्वच्छ रखने, नए बाजार बनाने और 'आत्मनिर्भर भारत' की दिशा में नई नौकरियों के लिए लोगों को कौशल प्रदान करने का एक दीर्घकालिक समाधान होगा।

 

सरकारी प्रयास -  

 

राष्‍ट्रीय इलेक्ट्रिक मोबिलिटी मिशन प्लान (NEMMP) 2020:

  • यह एक राष्ट्रीय मिशन दस्तावेज है जो देश में इलेक्ट्रिक वाहनों के निर्माण और उन्हें अपनाने के लिए दृष्टिकोण और रोडमैप प्रस्तुत करता है।
  • यह योजना राष्ट्रीय ईंधन सुरक्षा को बढ़ाने, सस्ता और पर्यावरण के अनुकूल परिवहन प्रदान करने और भारतीय मोटर वाहन उद्योग को वैश्विक विनिर्माण नेतृत्व में सक्षम करने हेतु तैयार की गई है।
  • NEMMP 2020 के तहत वर्ष 2020 तक 6-7 मिलियन हाइब्रिड और विद्युत चलित वाहनों की बिक्री करने का महत्वाकांक्षी लक्ष्य है।

 

हाइब्रिड और विद्युत चलित वाहनों को तेजी से अपनाना और निर्माण करना:

  • फेम- I:
    • सरकार ने 2015 में INR 8.95 बिलियन (USD 130 मिलियन) के परिव्यय के साथ - फेम (Faster Adoption and Manufacturing of Hybrid and EV-FAME) योजना शुरू की थी, जिसके अंतर्गत विद्युत चलित 2- और 3-व्हीलर, हाइब्रिड और ई-कारों एवं बसों के लिए सब्सिडी प्रदान की गई। 
  • फेम-II:
    • सरकार ने 1 अप्रैल 2019 से शुरू हुई 3 वर्षों की अवधि के लिए 10,000 करोड़ रुपये के परिव्यय के साथ फेम योजना के द्वितीय चरण को मंजूरी दे दी है। कुल बजटीय सहायता में से लगभग 86 प्रतिशत निधि मांग प्रोत्साहन के लिए आवंटित की गई है।
  • देश में विद्युत चलित वाहनों की मांग उत्पन्न करने के लिए प्रोत्साहन;
    • सरकार ने 2022 तक वाणिज्यिक उद्देश्यों के लिए उपयोग होने वाली इलेक्ट्रिक बसों, तिपहिया और चार पहिया वाहनों के लिए प्रोत्साहन प्रदान किया है और चार्जिंग स्टेशनों की स्थापना के लिए के लिए अलग से $135 मिलियन निर्धारित किए हैं।
    • फेम इंडिया योजना के चरण- I से प्राप्त अनुभव के आधार पर, यह देखा गया है कि योजना के अपेक्षित परिणाम हेतु पर्याप्त संख्या में चार्जिंग बुनियादी ढांचे की आवश्यकता है, जिसे वर्तमान में फेम योजना के चरण- II में संबोधित किया जा रहा है।

 

नीति आयोग का प्रस्ताव:

  • नीति आयोग द्वारा बैटरी निर्माताओं के लिए 4.6 अरब डॉलर की सब्सिडी का प्रस्ताव किया गया है।
  • इन नीतियों में 2030 तक 30% इलेक्ट्रिक वाहनों को सड़कों पर चलाने का दृष्टिकोण अंतर्निहित हैं।

 

भारत में आधार स्थापित करने के लिए विदेशी ऑटोमोबाइल कंपनियों को आकर्षित करना:

  • प्रमुख जापानी ऑटोमोबाइल सुजुकी मोटर ने गुजरात में एक विनिर्माण इकाई स्थापित करने के लिए जापानी ऑटोमोटिव घटक निर्माता डेंसो और बहुराष्ट्रीय समूह तोशिबा के साथ एक सहायता संघ का गठन किया है। यह इकाई लिथियम-आयन बैटरी और इलेक्ट्रोड के उत्पादन करेगी।

 

खनिज संपदा की खोज:

  • लिथियम की उपलब्धता तथा घरेलू बाजारों और अंतरराष्ट्रीय बाजारों की आपूर्ति वाले संयुक्त उद्योग की संभावनाओं की सटीक सूचना के लिए सरकार ने एक उच्च स्तरीय प्रतिनिधिमंडल भेज कर अग्रगामी कार्रवाई की है।
  • लिथियम और कोबाल्ट की स्थिर आपूर्ति को सुनिश्चित करने की आवश्यकता ने भारत की राष्ट्रीय एल्यूमिनियम कंपनी लिमिटेड (NALCO), हिंदुस्तान कॉपर लिमिटेड (HCL) और मिनरल एक्सप्लोरेशन कॉर्पोरेशन लिमिटेड (MECL) को खनिज बिदेश इंडिया लिमिटेड (KABIL) नामक एक सहायता संघ बनाने के लिए प्रेरित किया। यह विदेशों में लिथियम और कोबाल्ट जैसी महत्वपूर्ण खनिजों की पहचान करेगा ताकि व्यावसायिक उपयोग और बैटरी निर्माताओं की घरेलू आवश्यकता पूर्ति की जा सके।

 

उत्पादन आधारित प्रोत्साहन (PLI):

  • 18,000 करोड़ रुपये के प्रोत्साहन के साथ उन्नत रसायन सेल (ACC) के लिए सरकार की PLI योजना से निवेश को बढ़ावा मिलने की संभावना है। 

 

निष्कर्ष:

भारत का लक्ष्य 2030 तक 100% विद्युत चलित वाहनों का उपयोग करना है। सरकारी सहायता में वृद्धि, प्रौद्योगिकी की घटती लागत, विद्युत चलित वाहनों में देश की बढ़ती रुचि, प्रदूषण के स्तर को कम करने जैसे कई कारक सामूहिक रूप से भारत के विद्युत चलित वाहनों में संक्रमण को बढ़ावा देंगे और सरकार को अपने लक्ष्य की प्राप्ति में सक्षम बनाएंगे।

 

 

 

Q2: गिग इकॉनमी' से आप क्या समझते हैं ? गिग इकोनामी के प्रमुख लाभों को बताते हुए इसके समक्ष आने वाली प्रमुख चुनौतियों को रेखांकित कीजिये|   12 marks

What do you understand by Gig Economy? Highlighting the major advantages of the gig economy, outline the major challenges faced by it.

 

दृष्टिकोण:

  • उत्तर की शुरुआत गिग ईकोनामी को परिभाषित करते हुए कीजिये।
  • इसके पश्चात गिग इकोनामी के लाभ को बताते हुए उत्तर को विस्तारित कीजिये।
  • अंत में चुनौतियों को बताते हुए उत्तर का समापन कीजिये।

 

उत्तर:

 

       गिग इकॉनामी को एक मुक्त बाजार प्रणाली के रूप में  परिभाषित किया गया है जिसमें स्वतंत्र कर्मचारी अस्थायी स्थिति में कम समय के लिए लगे हुए हैं। इसे ‘‘फ्रीलांसर अर्थव्यवस्था,’’ ‘‘फुर्तीली कार्यबल,’’ ‘‘ साझा अर्थव्यवस्था,’’ या स्वतंत्र कार्यबल के रूप में भी जाना जाता है। भारत में, दिल्ली भारत के तकनीकी सक्षम गिग अर्थव्यवस्था में शामिल होने वाले प्रवासी श्रमिकों के लिए शीर्ष गंतव्य के रूप में उभरा है।

 

गिग अर्थव्यवस्था मुख्यतः तीन घटकों से बनी है-



  • गिग इकोनॉमी में भुगतान किए गए स्वतंत्र श्रमिक (जो किसी एक कार्य या एक परियोजना से सम्बंधित होते हैं) उन श्रमिकों के विपरीत होते हैं जो वेतन या प्रति घंटा का वेतन प्राप्त करते हैं।
  • जिन उपभोक्ताओं को एक विशिष्ट सेवा की आवश्यकता होती है, उदाहरण के लिए उनके अगले गंतव्य के लिए सवारी, या किसी विशेष वस्तु की डिलीवरी।
  • वे कंपनियाँ जो ऐप - आधारित प्रौद्योगिकी प्लेटफार्म सहित प्रत्यक्ष तरीके से मजदूर को उपभोक्ता से जोड़ती हैं।

 

गिग इकोनॉमी के लाभ:

यह डिजिटलाइजेशन का युग है जिसमे लोग कहीं भी सहज हो कर काम करना पसन्द करते हैं। इसने न केवल कर्मचारियों को वह काम करने में सक्षम किया है जो वे पसन्द करते हैं, बल्कि नौकरी के लिए उपलब्ध सर्वोत्तम प्रतिभा का चयन करने के लिए नियोक्ताओं को स्वतंत्रता भी प्रदान की है। भौगोलिक स्थिति अब किसी परियोजना के लिए उपलब्ध प्रतिभाओं के दोहन के लिए बाधक नहीं है।



  • गिग इकोनॉमी कारोबारी घरानों के लिए फायदेमंद है। बड़े कारोबारी घराने अपने संसाधनों को बचा सकते हैं। उदाहरण के लिए, भविष्य निधि, सशुल्क अवकाश और कार्यालय स्थान जैसे विभिन्न लाभों को बचाया जा सकता है।
  • गिग अर्थव्यवस्था श्रमिकों को अधिक विकल्प प्रदान करती है परिणामस्वरूप लोग कई बार अपनी नौकरी बदल सकते हैं जब तक उन्हें अपनी पंसद का काम नहीं मिलता है।
  • गिग अर्थव्यवस्था श्रमिकों को प्रयोग करने की गुंजाइश देती है।
  • गिग अर्थव्यवस्था अधिक लाभदायक है क्योंकि एक व्यक्ति फ्रींलांसिंग के माध्यम से अतिरिक्त कमा सकता है।
  • गिग इकोनॉमी के माध्यम से कोई महिला अपने व्यक्तिगत तथा व्यावसायिक जीवन में सामंजस्य के साथ कार्य कर सकती है।
  • गिग इकोनॉमी सेवानिवृत्ता लोगों के लिए भी मददगार है क्योंकि इसके माध्यम से उनकी उनके बच्चों पर निर्भरता कम होती है। तथा यह अकेलेपन के अवसाद से भी दूर रहने में सहायक होती है।
  • स्टार्ट-अप जिनके पास वित्तीय प्रतिबंध हैं वे अधिकतर समय फ्रीलसंसरों और अंशकालिक श्रमिकों से मिलने वाले लाभों के कारण जीवित रहते हैं।

 

गिग इकोनॉमी के समक्ष आने वाली चुनौतियां:



  • गिग इकोनॉमी में रोजगार की सुरक्षा का अभाव है।
  • यह ज्यादातर अनियमित है क्योकि इसके परिणामस्वरूप पारंपरिक अर्थिक प्रणाली की तुलना में कम लाभ है।
  • गिग इकोनॉमी के कर्मचारियों को अपने प्रोफेशनल स्किल्स को अपग्रेड करने का खर्चा स्वंय वहन करना होगा। क्योंकि कंपनी ट्रेनिंग कर्मचारियों पर खर्च नहीं करती है।
  • गिग इकोनॉमी में श्रमिकों को कभी भी सीमित किया जा सकता है।
  • श्रमिक, पेंशन ग्रेच्युरी, भत्ते आदि के हकदार नहीं हैं जो पूर्णकालिक नौकरियों में उपलब्ध हैं।
  • आय का स्थिर साधन न होने के कारण बैंक तथा वित्तीय संस्थान के पास ऋण देने हेतु कोई आधार उपलब्ध नहीं होता है।
  • इसमें व्यवसाय और मुनाफे के स्वतंत्र तरीके को प्राथमिकता दी जाती है तथा सामाजिक कल्याण के उद्देश्यों को उपेक्षित किया जा सकता है।
  • कुछ ऐसे कार्य जहाँ टीम वर्क आवश्यक होता है वहाँ गिग इकोनॉमी की आवश्यकता नहीं होती है।

 

                      भारत में रोजगार सृजन अल्प है। आबादी का एक वर्ग पूरी तरह गिग इकोनॉमी पर निर्भर है। इसलिए गिग इकोनॉमी को विनियमित करने के लिए नीतियों और एक मजबूत प्रणाली की आवश्यकता है ताकि कामगार इस उभरती अर्थव्यवस्था में काम करके लाभान्वित हो सकें।