Q1: केंद्र और राज्य के बीच वित्तीय संबंधों को मजबूत करने में वित्त आयोग कैसे सक्रिय भूमिका निभाता है? चर्चा कीजिये ।
How Finance commission plays a proactive role in strengthening Fiscal relationship between centre and state? Discuss.
दृष्टिकोण -
· उत्तर की शुरुआत वित्त आयोग का सामान्य परिचय देते हुए कीजिये।
· इसके पश्चात वित्त आयोग के कार्यों को बताते हुए उत्तर को विस्तारित कीजिये।
· पुनः वित्त आयोग द्वारा देश में राजकोषीय संघवाद या केंद्र-राज्य सम्बन्ध की चर्चा कीजिये।
· अंत में आयोग की अनुशंषा शक्ति को बताते हुए उत्तर का समापन कीजिये।
उत्तर-
वित्त आयोग:
यह भारत के संविधान के अनुच्छेद 280 के प्रावधानों के तहत भारत के राष्ट्रपति द्वारा पांच वर्षों के लिए बनाया जाने वाला आयोग है। यह केंद्र सरकार के कुल कर संग्रह में राज्य सरकारों की हिस्सेदारी के बारे में निर्णय लेता है। वर्तमान में 15वें वित्त आयोग का कार्यकाल चल रहा है। इसके अध्यक्ष एन.के. सिंह हैं। 15वें वित्त आयोग की अवधि 2020-21 से 2025-26 है।
वित्त आयोग के मुख्य कार्य हैं–
(i) केंद्र और राज्यों के बीच साझा किए जाने वाले करों से होने वाली शुद्ध आमदनी का वितरण और राज्यों को ऐसी आमदनी आवंटित करना।
(ii) केंद्र द्वारा राज्यों को अनुदान के भुगतान को नियंत्रित करने वाले सिद्धांत बनाना।
(iii) केंद्र और राज्यों के बीच वित्तीय संबंधों से संबंधित कोई अन्य मामला।
इसलिए इसका मुख्य कार्य केंद्र सरकार को उसके द्वारा लगाए गए करों को राज्यों के साथ कैसे साझा किया जाए, पर अपनी राय देना है। ये अनुशंसाएं पांच वर्षों की अवधि को कवर करती हैं। केंद्र द्वारा भारत के संचित निधि में से राज्यों को कैसे अनुदान देना चाहिए, के बारे में भी आयोग नियम बनाता है। साथ ही आयोग को राज्यों के संसाधनों को बढ़ाने हेतु उपाय और पंचायतों एवं नगरपालिकाओं के संसाधनों के पूरक हेतु उपाय सुझाना होता है।
वर्तमान वित्त आयोग ने केंद्र सरकार के कर संग्रह में से राज्यों को 41% हिस्सेदारी दिए जाने की सिफारिश की है। इसने पूर्ववर्ती जम्मू और कश्मीर राज्य की बदली हुई स्थिति को लद्दाख और जम्मू और कश्मीर के नए केंद्र शासित प्रदेशों में बदलने के कारण लगभग 1% का आवश्यक समायोजन किया है।
वित्त आयोग द्वारा देश में राजकोषीय संघवाद या केंद्र-राज्य सम्बन्ध:
संविधान में परिकल्पित संघीय ढांचे के तहत, ज्यादातर कराधान शक्तियां केंद्र के पास है लेकिन थोक खर्चे राज्यों द्वारा किए जाते हैं। ऐसे संघीय संरचना में केंद्र, जो आयकर और उत्पाद शुल्क एवं सीमा शुल्क जैसे अप्रत्यक्ष करों के रूप में कर लगाता और वसूल करता है, से संसाधनों के राज्यों को हस्तांतरित किए जाने की आवश्यकता होती है। इसलिए राज्य की आबादी, राज्य की राजकोषीय स्थिति, राज्य का वन क्षेत्र, आमदनी का अंतर(income disparity) और क्षेत्रफल के आधार पर विभिन्न राज्यों के बीच संसाधनों का उचित आवंटन आवश्यक है। इस प्रकार के उचित आवंटन द्वारा वित्त आयोग राज्यों और केंद्र के बीच टकराव होने से रोक सकता है।
आयोग की अनुशंसा की शक्ति:
संविधान, सरकार पर वित्त आयोग की अनुशंसाओं को बाध्यकारी नहीं बनाता। हालांकि, यह ठोस मिसाल है कि सरकार जहां तक राजस्व के साझा किए जाने का प्रश्न है, आमतौर पर आयोग की अनुशंसाओं को मान लेती है। केंद्रीय करों एवं शुल्कों और अनुदान के वितरण से संबंधित ये अनुशंसाएं सामान्यतया राष्ट्रपति के आदेश से लागू होती है।
अतः, हम कह सकते हैं कि वित्त आयोग राज्यों के संबंध में केंद्र सरकार को सिफारिशें और सिद्धांत प्रदान करके सहकारी वित्तीय प्रतिस्पर्धा को बनाए रखने और मजबूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
Q2: भारतीय और अमेरिकी संघवाद में क्या समानताएं और अंतर हैं?
What are the similarities and differences between Indian and American federalism?
दृष्टिकोण -
• संघवाद का सामान्य परिचय देकर उत्तर शुरू करें।
• इसके बाद दोनों संविधानों का संक्षिप्त इतिहास देकर उत्तर का विस्तार करें।
• अमेरिकी और भारतीय संघवाद के बीच समानता और अंतर पर चर्चा करें।
• अंत में उचित रूप से उत्तर समाप्त करें।
उत्तर -
संघीय सरकार मे केंद्र और राज्यों के बीच शक्तियों का विभाजन होता है । दोनों सरकारे संविधान द्वारा दिये गए अधिकारो और निर्देशों के अनुसार अपने -अपने अधिकार क्षेत्रों मे कार्यों का संचालन करती है । यूनाइटेड स्टेट्स ऑफ़ अमेरिका, स्विट्ज़रलैंड, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा आदि जैसे देशों में संघीय व्यवस्था दिखाई देती है । यहाँ शक्तियों का विभाजन , कठोर और लिखित संविधान, संविधान की सर्वोच्चता न्यायपालिका की स्वतंत्रता, आदि शामिल है।
अमेरिका ने वर्ष 1789 में संघीय गणतंत्र राज्य (फेडरल रिपब्लिक नेशन) का दर्जा प्राप्त किया; जबकि भारत ने वर्ष 1950 में अपने संविधान को लागू करके समाजवादी (सोशीयलिस्ट), प्रभुत्व सम्पन्न (सॉवरेन), पंथनिरपेक्ष (सेक्यूलर) और लोकतंत्रात्मक गणराज्य (रिपब्लिक), जैसी अवधारणाओं की स्थापना की थी ।
भारतीय संघवाद और अमेरिकी संघवाद के बीच समानता -
1. अमेरिका और भारत दोनों के संविधान, लिखित संविधान है, जो फेडरल राजनीतिक ढांचा प्रदान करते है, जहां दोनों सरकारें, अपने-अपने अधिकारों का प्रयोग करती हैं।
2. दोनों देशों के संविधान, संविधान के संशोधन (अमेंडमेंट) का प्रावधान (प्रोविज़न) रखते हैं, जिससे वह अपने देश की बदलती परिस्थितियों और बढ़ती राजनीतिक, आर्थिक (इकनॉमिक), सामाजिक जरूरतों और मांगों को पूरा कर सके
3. अमेरिकी संविधान द्वारा अपने नागरिकों को कई मौलिक अधिकार, जैसे समानता का अधिकार, स्वतंत्रता, शोषण के खिलाफ अधिकार, धर्म की स्वतंत्रता, सांस्कृतिक और शैक्षिक अधिकार, संपत्ति का अधिकार, और संवैधानिक उपचार का अधिकार आदि प्रदान किए गए । भारतीय संविधान मे भाग 3 के तहत लोगों को मौलिक अधिकार प्रदान किए गए हैं।
4. केंद्रीय और राज्य सरकार दोनों को समवर्ती सूची में दिए गए विषयों पर कानून बनाने का अधिकार है और, जब कभी भी केंद्रीय सरकार द्वारा बनाए गए कानूनों और राज्य सरकार द्वारा बनाए गए कानूनों के बीच विवाद होता है तो केंद्रीय सरकार द्वारा बनाए गए कानूनों को सर्वश्रेष्ठ माना जाता है।
5. अमेरिका और भारतीय संविधान दोनों ही तीन संस्थानों, अर्थात् कार्यपालिका (एग्जीक्यूटिव), विधायिका (लेजिस्लेटर) और न्यायपालिका (ज्यूडिशरी) के बीच शक्तियों के विभाजन का प्रावधान करते हैं।
6. अमेरिकी विधायिका के ऊपरी और निचले सदनों को सीनेट और हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव कहा जाता है, और दूसरी ओर, भारत में लोकसभा और राज्यसभा, संसद के निचले और ऊपरी सदन होते हैं।
भारतीय संघवाद और अमेरिकी संघवाद के बीच अंतर -
2. अमेरिका में, राष्ट्रपति, राज्य के प्रमुख होता है और इसलिए उनकी सरकार को लोकप्रिय रूप से प्रेसिडेंशियल फॉर्म ऑफ़ गवर्नमेंट के नाम से जाना जाता है। दूसरी ओर, भारत में सरकार का पार्लियामेंट्री फॉर्म है, क्योंकि प्रधानमंत्री अपने मंत्रिमंडल के साथ वास्तविक शक्ति का प्रयोग करते हैं, जिसमें राष्ट्रपति केवल एक नाममात्र प्रमुख होता है ।
3. अमेरिका के राष्ट्रपति, चार साल की अवधि के लिए पद धारण करते हैं, जबकि भारत के प्रधान मंत्री पांच साल तक सत्ता में रह सकते हैं, जब तक कि उनकी राजनीतिक पार्टी, लोक सभा म बहुमत से जीतती हैं।
4. भारत का संविधान एकल नागरिकता को मान्यता देता है, जबकि दूसरी ओर अमेरिका का संविधान दोहरी नागरिकता प्रदान करता है, जिसके मुताबिक, एक अमेरिकी नागरिक के पास एक केंद्र की तथा दूसरी राज्यों की नागरिकता हो सकती है ।
5. अमेरिका में एक न्यायाधीश तब तक पद धारण करते है, जब तक वह अपने कर्तव्यों का पालन करने में सक्षम है और दूसरी ओर भारतीय संविधान में कहा गया है कि एक जिला न्यायाधीश 58 वर्ष की आयु तक अपना पद धारण कर सकते है और एक उच्च न्यायालय का न्यायाधीश 62 वर्ष की आयु तक और सर्वोच्च न्यायालय का न्यायाधीश 65 वर्ष की आयु तक पद धरण कर सकते है ।
अतः यह निष्कर्ष निकाला जा सकता है कि फेडरेलिज्म की कुछ विशेषताएं हैं जो भारत और यूनाइटेड स्टेट्स ऑफ़ अमेरिका, दोनों के लिए समान हैं, मगर दूसरी ओर, भारत और अमेरिका अपने संविधान के फेडरल आचरण से संबंधित कई पहलुओं में भिन्न हैं। हालांकि, अमेरिका और भारतीय फेडरेलिज्म दोनों ही रुकावटें होने के बावजूद भी कुल मिलाकर सफल रहे।
2021 Simplified Education Pvt. Ltd. All Rights Reserved