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SHIKHAR MAINS 2022 - DAY 7 Model Answer Hindi

Updated : 16th Aug 2022
SHIKHAR MAINS 2022 - DAY 7 Model Answer Hindi

Q1. वे कौन से मूलभूत सिद्धांत हैं जिन पर हमारा संविधान आधारित है? लिखित दस्तावेज के रूप में उन्हें संहिताबद्ध करना क्यों महत्वपूर्ण था?

 

What are the fundamental principles on which our Constitution is based? Why was it important to codify them as written documents?

 

दृष्टिकोण-

·       कुछ महत्वपूर्ण शब्दो के मध्यम से संविधान के मूलभूत सिद्धांतों के बारे में संक्षेप में उल्लेख कीजिये ।

·       प्रत्येक महत्वपूर्ण मूलभूत सिद्धान्त के कीवर्ड का संक्षेप में वर्णन कीजिए ।

·       मूलभूत सिद्धांतों को संहिताबद्ध करने के महत्व का उल्लेख कीजिये ।

 

 उत्तर -

 

प्रस्तावना को भारतीय संविधान के आत्मा के रूप में जाना जाता है। यह उन मूलभूत मूल्यों को दर्शाता है जिन पर भारतीय संविधान निर्मित है। संविधान की प्रस्तावना के शुरुआती शब्दहम भारत के लोगलोगों को कुछ अधिकार देता है और जिनकी इच्छा से ही संविधान का उदय हुआ। प्रस्तावना भारत को एक संप्रभुता, समाजवादी, धर्मनिरपेक्ष, लोकतांत्रिक गणराज्य बनाने की घोषणा करता  है ।  

 

1. संप्रभुता - भारत न तो किसी राष्ट्र पर निर्भर है और न ही किसी अन्य राष्ट्र का प्र्भुत्व स्वीकार करता है। यह अपने राष्ट्र के लिए निर्णय लेने के लिए स्वतंत्र है ।

 

2. लोकतंत्र और गणतंत्र - भारतीय संविधान प्रतिनिधि संसदीय लोकतंत्र का प्रावधान करता है । इसके प्रतिनिधियों का चुनाव जनता द्वारा मताधिकार से किया जाता है । इसके तहत कार्यपालिका नीतियों और कार्यों के लिए विधायिका के प्रति जिम्मेदार होती है। भारत एक गणतंत्र भी है क्योंकि राजनीतिक संप्रभुता लोगों में निहित है न कि राजा जैसे वंशानुगत किसी एक व्यक्ति में।

 

3. व्यक्तिगत स्वतंत्रता - भारतीय संविधान मौलिक अधिकारों के माध्यम से नागरिकों तथा गैर नागरिकों की व्यक्तिगत स्वतंत्रता को सुनिश्चित करती ।

 

4.विविधता और अल्पसंख्यक अधिकारों का सम्मान - भारतीय संविधान विभिन्न समुदायों के बीच समुदाय आधारित अधिकारों को मान्यता प्रदान करने तथा समानता के व्यवहार को प्रोत्साहित करती है । जैसे अल्पसंख्यक समुदायों को अपने स्वयं के शिक्षण संस्थान स्थापित करने और चलाने का अधिकार है। ऐसे संस्थानों को भी सरकार द्वारा वित्त प्रदान किया जा सकता है ।

 

5.सामाजिक न्यायसामाजिक न्याय की अवधारणा सभी मनुष्यों की समानता पर आधारित है ।  जिसके अनुसार सभी मनुष्य समान है । सभी को समान अवसर मिलना चाहिए । किसी के साथ सामाजिक या धार्मिक आधार पर भेदभाव नहीं होना चाहिए। इस संदर्भ मे भारतीय संविधान विभिन्न समुदायों के हितों की रक्षा के लिए विभिन्न उपाय करता है। इसका सबसे अच्छा उदाहरण संविधान में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षण का प्रावधान है। संविधान निर्माताओं का मानना ​​था कि केवल समानता का अधिकार प्रदान करना इन समूहों द्वारा झेले गए सदियों पुराने अन्याय को दूर करने या उनके मताधिकार को वास्तविक अर्थ देने के लिए पर्याप्त नहीं है।

 

6.धर्मनिरपेक्षताभारतीय संविधान सभी को धार्मिक विश्वशों और तौर तरीको को अपनाने की पूरी छुट प्रदान करता है ।धर्म को राज्य से अलग रखने का दृष्टिकोण ही धर्मनिरपेक्षता है ।   हालाँकि शुरुआत में 'धर्मनिरपेक्ष' शब्द का उल्लेख नहीं किया गया था, लेकिन भारतीय संविधान हमेशा से धर्मनिरपेक्ष रहा है।

 

7.सार्वभौमिक मताधिकार - भारत का संविधान सभी वयस्क नागरिकों को उनके धर्म, जाति, लिंग या जन्म स्थान आदि के मधायम से विभेद किए बिना मत देने का अधिकार का प्रावधान करता है ।

 

8.संघवाद भारतीय संविधान द्वारा संघीय व्यवस्था को अपनाया गया जहां शक्तियों का बंटवारा केन्द्र और राज्यों के बीच किया गया है । हालाकि कुछ राज्यों को विशिष्ट स्थिति के कारण विशेष राज्य का दर्जा प्रदान किया गया है, जैसे अनुच्छेद 371A के तहत, नागालैंड ।

 

निम्नलिखित कारणों से भारत जैसे नए स्वतंत्र देश में लिखित दस्तावेज के रूप में संविधान के संहिताकरण की आवश्यकता पड़ी:

 

·       एक लिखित संविधान राज्य और उसके अंगों की संरचना और कार्यों को स्पष्ट रूप से परिभाषित करने, इसके मूल सिद्धांतों की घोषणा करने, शासी संस्थानों की स्थापना करने और उनके बीच संबंधों को विनियमित करने में मदद करता है।

 

·       कार्यपालिका के पास संविधान में संशोधन की कठिन प्रक्रिया के बिना लिखित संविधान को बदलने का अधिकार नहीं है - एक प्रक्रिया जो संविधान में ही निर्दिष्ट है। यह सुनिश्चित करता है कि यह संविधान है, जो सर्वोच्च है।

 

·       एक संघीय व्यवस्था में, एक लिखित संविधान की आवश्यकता होती है क्योंकि यह सरकार के विभिन्न स्तरों पर सत्ता के बंटवारे की व्यवस्था को स्पष्ट रूप से निर्दिष्ट करने में मदद करता है। इसके अलावा, केंद्र और राज्यों के बीच शक्तियों के वितरण को प्रभावित करने वाले प्रावधानों में कम से कम आधे राज्यों की सहमति से ही संशोधन किया जा सकता है।

 

·       एक लिखित संविधान सरकार की शक्तियों की सीमा निर्धारित करने और नागरिकों के कुछ मौलिक अधिकारों को निर्दिष्ट करने में मदद करता है जिनका अतिक्रमण नहीं किया जा सकता है।

 

·       यह विश्वास और समन्वय की एक डिग्री उत्पन्न करता है जो समाज के विभिन्न वर्गों के लिए सद्भाव में रहने के लिए आवश्यक है।

                           लिखित संविधान में नागरिकों के लिये राजनीतिक, आर्थिक व सामाजिक न्याय के साथ स्वतंत्रता के सभी रूप शामिल हैं। प्रस्तावना नागरिकों को आपसी भाईचारा व बंधुत्व के माध्यम से व्यक्ति के सम्मान तथा देश की एकता और अखंडता सुनिश्चित करने का संदेश देती है।

 

Q2.  भारतीय संविधान तत्वों और मूल भावना में अद्वितीय है"। दिए गए कथन के आलोक में भारतीय संविधान की मुख्य विशेषताओं पर चर्चा कीजिए।

"The Indian Constitution is unique in elements and basic spirit". Discuss the salient features of the Indian Constitution in the light of the given statement.

दृष्टिकोण-

·       भूमिका में भारतीय संविधान की विशिष्टता के बारे में 2-3 पंक्तियाँ लिखिए।

·       संविधान की विभिन्न प्रमुख विशेषताओं की विवेचना कीजिए।

उत्तर -

भारतीय संविधान की अद्वितीयता इस बात पर निर्भर है की यह  दुनिया का सबसे बड़ा लिखित संविधान है तथा इसमें लचीलेपन और कठोरता, असममित संघीय व्यवस्था आदि का विवेकपूर्ण प्रावधान किया गया है । 

भारतीय संविधान की मुख्य विशेषताएं -

1. संसदीय संप्रभुता और न्यायिक सर्वोच्चता का संश्लेषण - भारतीय संविधान के निर्माताओं ने ब्रिटिश की संसदीय संप्रभुता के सिद्धांत और अमेरिका के न्यायिक सर्वोच्चता सिद्धांत के बीच एक उचित संश्लेषण को प्राथमिकता दी है। सर्वोच्च न्यायालय, एक ओर, न्यायिक समीक्षा की अपनी शक्ति के माध्यम से संसदीय कानूनों को असंवैधानिक घोषित कर सकता है तो दूसरी ओर, संसद अपनी संवैधानिक शक्ति के माध्यम से संविधान के बड़े हिस्से में संशोधन कर सकती है।

2. एकीकृत और स्वतंत्र न्यायपालिका - सर्वोच्च न्यायालय देश में एकीकृत न्यायिक प्रणाली के शीर्ष पर है। इसके नीचे राज्य स्तर पर उच्च न्यायालय हैं। एक उच्च न्यायालय के तहत, अधीनस्थ न्यायालयों की पदानुक्रम व्यवस्था की गई है । अर्थात जिला अदालतें और अन्य निचली अदालतें। अदालतों की यह एकल प्रणाली केंद्रीय कानूनों के साथ-साथ राज्य के कानूनों को भी लागू करती है। 

·       भारतीय संविधान दुनिया का सबसे अधिक विस्तृत ,व्यापक और लिखित दस्तावेज है।

·       हालांकि भारतीय संविधान विश्व  के विभिन्न संविधानों मे से प्रगतिशील तत्वो  को लेकर बनाया गया है । डॉ. बी.आर. अम्बेडकर ने प्रशंसा की कि भारत का संविधान 'दुनिया के सभी ज्ञात संविधानों मे से लेकर  ' बनाया गया है। 

3. कठोरता और लचीलेपन का मिश्रण - संविधान के कुछ प्रावधानों में विशेष बहुमत के द्वारा संशोधन किया जा सकता है, जैसे संविधान संशोधन, राष्ट्रपति के चुनाव से संबन्धित प्रावधान, संघीय ढांचे से संबन्धित प्रावधान आदि ।   तथा संसद मे संविधान के कुछ प्रावधानों को साधारण विधायी प्रक्रिया के माध्यम संशोधन किया जा सकता है।जैसे राज्यों के नामो मे परिवर्तन । 

4. संघात्मकता के साथ एकतमकता - 'फेडरेशन' शब्द का प्रयोग संविधान में कहीं भी नहीं किया गया है। हालांकि अनुच्छेद 1, भारत को 'राज्यों के संघ' के रूप में घोषित करता है, जिसका तात्पर्य यह है कि: 

·       एक, भारतीय संघ राज्यों के समझौते का परिणाम नहीं है

·       दूसरा, किसी भी राज्य को महासंघ से अलग होने का अधिकार नहीं है। इसी कारण भारतीय संघवाद को अर्ध-संघवाद के नाम से भी जाना जाता है।

5. सरकार का संसदीय स्वरूप - भारत में संसदीय सरकार की विशेषताएं हैं:

·       नाममात्र और वास्तविक कार्यपालिका 

·       बहुमत दल शासन,

·       विधायिका के प्रति कार्यपालिका की सामूहिक जिम्मेदारी,

·       विधायिका में मंत्रियों की सदस्यता,

·       प्रधान मंत्री या मुख्यमंत्री का नेतृत्व,

·       निचले सदन (लोकसभा या विधानसभा) का विघटन।

6.  धर्मनिरपेक्ष राज्य - प्रस्तावना में धर्मनिरपेक्षता शब्द और अनुच्छेद 14, 15, 16, 25 भारतीय राज्य के धर्मनिरपेक्ष चरित्र को प्रकट करते हैं।

7एकल नागरिकता - संयुक्त राज्य अमेरिका के विपरीत भारत मे एकल नागरिकता का प्रावधान है, चाहे वे किसी भी राज्य मे जन्म लिए हो या निवास करते हों। 

                               संविधान, किसी भी देश का मौलिक कानून है जो सरकार के विभिन्न अंगों की रूपरेखा और मुख्य कार्य का निर्धारण करता है। साथ ही यह सरकार और देश के नागरिकों के बीच संबंध भी स्थापित करता है, इसके साथ  नागरिकों को आपसी भाईचारा व बंधुत्व के माध्यम से व्यक्ति के सम्मान तथा देश की एकता और अखंडता सुनिश्चित करने का संदेश देती है। बंधुत्व का उद्देश्य सांप्रदायिकता,क्षेत्रवाद,जातिवाद तथा भाषावाद जैसी बाधाओं को दूर करना है।