Q1. अभिवृत्ति के अर्थ को स्पष्ट कीजिये। साथ ही नैतिक अभिवृत्ति और राजनीतिक अभिवृत्ति की संक्षेप में चर्चा कीजिये।
Explain the meaning of attitude. Also discuss Moral attitude and Political attitude.
दृष्टिकोण:
· उत्तर की शुरुआत अभिवृत्ति के अर्थ को स्पष्ट करते हुए कीजिये ।
· इसके पश्चात नैतिक अभिवृत्ति को बताते हुए उत्तर को विस्तारित कीजिये ।
· अंत में राजनीतिक अभिवृत्ति को बताते हुए उत्तर का समापन कीजिये ।
उत्तर:
अभिवृत्ति
अभिवृत्ति का आशय व्यक्ति के सामाजिक वातावरण जैसे किसी वस्तु, घटना,मुद्दे आदि को लेकर एक झुकाव या प्रवृत्ति है जो कि सकारात्मक या नकारात्मक या तटस्थ हो सकता है, यह प्रवृत्ति दीर्घकालीन होता है ,अतः अभिवृत्ति की प्रकृति मूल्यात्मक है ।
· जब किसी विषयवस्तु पर व्यक्ति का विचार या मत भावना से शामिल होते हुए व्यवहार में परिवर्तित होता है, तो अभिवृत्ति की संज्ञा दी जाती है ।
· अभिवृत्ति के तीन भाग है - विचारात्मक , भावात्मक और व्यवहारिक।
· अभिवृत्ति व्यक्ति में एक अपेक्षित व्यवहार की सम्भावना को व्यक्त करती है, परन्तु आवश्यक नहीं कि यह अपने आप में व्यवहार को प्रदर्शित करे।
· कई अवसरों पर व्यक्ति की अभिवृत्ति एवं व्यवहार के बीच का सामंजस्य ना होने पर संज्ञानात्मक मतभेद होता है।
· यह व्यक्ति में मानसिक दुखद स्थिति को उत्पन्न करता है।
· व्यक्ति के द्वारा ऐसी परिस्थिति में संज्ञानात्मक प्रतिध्वनि को प्राप्त करने का प्रयास किया जाता है तथा इस सन्दर्भ में व्यल्क्ति के द्वारा व्यवहार में इस प्रकार के परिवर्तन को प्राप्त करने का प्रयास किया जाता है, जो उसकी अभिवृत्ति से मेल खाता हो, आदि।
नैतिक अभिवृत्ति
· ऐसे अभिवृत्ति को दर्शाती है जोकि नैतिक विश्वास पर आधारित हो।
· विश्वास का आशय उस प्रकार के विश्वास से है जोकि किसी भी उचित या अनुचित या नैतिक -अनैतिक को लेकर मजबूत हो।
· नैतिक अभिवृत्ति का तथ्य व्यक्ति को प्रेरित करता है।
· नैतिक अभिवृत्ति सामान्यतः मजबूत भावनाओं से जुडी होती है अतः इसमें भावात्मक भाव का भाग अधिक होता है।
राजनीतिक अभिवृत्ति
· राजनीतिक अभिवृत्ति, राजनीतिक संस्कृति एवं राजनीतिक विचारधारा से प्रभावित होती है।
· राजनीतिक विचारधारा में व्यक्तियों के बीच भिन्नता होने पर भी राजनीतिक संस्कृति में समानता होती है।
· राजनीतिक संस्कृति का स्थानांतरण पीढ़ी दर पीढ़ी होती है। अतः राजनीतिक संस्कृति सामाजिक प्रक्रिया का एक अंग है।
· राजनीतिक अभिवृत्ति का वर्गीकरण व्यापक रूप से तीन भागों में किया जा सकता है।
· नागरिक सिर्फ राजनीतिक व्यवस्था से अवगत है।
· नागरिक राजनीतिक व्यवस्था से अवगत होते हुए इसके निर्णय से अपने को प्रभावित मानते हैं।
· विभिन्न माध्यमों के द्वारा राजनीतिक व्यवस्था के निर्णय को प्रभावित करते हैं।
· राष्ट्रवाद का सम्बन्ध शक्ति से है अतः इसकी प्रकृति आक्रत्मक होती है । जबकि स्वदेश प्रेम राजनीतिक समुदाय के प्रति व्यक्तियों को नैतिक दायित्वों से अवगत कराती है।
· स्वदेश प्रेम की प्रकृति रक्षात्मक होती है एवं यह अपने आप में सर्वोत्तम तरीके से जीवन यापन का माध्यम है।
· इसे किसी अन्य पर थोपने की इच्छा नहीं होती है।
· राजनीतिक अभिवृत्ति के सन्दर्भ में संविधानवाद का विशेष महत्व है।
इस प्रकार अभिवृत्ति का परिणाम सीखने की प्रक्रिया का ही परिणाम है। अतः प्रत्येक नयी सीख के साथ अभिवृत्ति परिवर्तन का होना स्वाभाविक है । अभिवृत्ति परिवर्तन में सामाजिक प्रभाव का विशेष महत्व होता है।
Q2. जवाबदेहिता से आप क्या समझते हैं? उन कारणों को रेखांकित कीजिये जो न्यायपालिका की जवाबदेहिता को औचित्य प्रदान करते हैं।
What do you understand by accountability? Enumerate reasons to justify the accountability of the judiciary.
दृष्टिकोण:
· भूमिका में जवाबदेहिता को परिभाषित कीजिये।
· प्रथम भाग में न्यायिक जवाबदेहित के औचित्य को सकारण स्पष्ट कीजिये।
· दूसरे भाग में न्यायिक जवाबदेहिता सुनिश्चित करने के उपायों की एक रूपरेखा प्रस्तुत कीजिये।
· अंतिम में इस सन्दर्भ में हुए प्रयासों की चर्चा करते हुए उत्तर समाप्त कीजिये।
उत्तर:
जब व्यक्ति को कोई कार्य दिया जाता है तो उस कार्य को सम्पन्न करना उस व्यक्ति नैतिक उत्तरदायित्व होता है। और जब कोई उत्तरदायित्व विधिक हो तब उसे जवाबदेहिता कहते हैं। जवाबदेहिता के तीन आधार होते हैं यथा दायित्व(रेस्पोंसिवनेस), उत्तरदायित्व (रेस्पोंसिबिलिटी) और संवेदनशीलता(एकाउंटेबिलिटी)। चूँकि न्यायपालिका भी सरकार का एक अंग है अतः न्यायपालिका से भी जवाबदेही की अपेक्षा की जाती है।
न्यायपालिका की जवाबदेहिता
· न्यायपालिका की स्वतंत्रता का तात्पर्य कार्यपालिका और संसद के अहस्तक्षेप से है।
· जनता के मौलिक अधिकारों को संरक्षित करने हेतु न्यायपालिका को स्वतंत्र होना चाहिए परन्तु इसके साथ-साथ यह भी आवश्यक है कि न्यायपालिका को जवाबदेह भी होना चाहिए।
· न्यायपालिका की यह जवाबदेहिता कार्यपालिका अथवा संसद के प्रति नहीं बल्कि संविधान, जनता और संसदीय परंपरा एवं मूल्यों के प्रति होनी चाहिए।
न्यायिक जवाबदेहिता का औचित्य
· न्यायपालिका अपने अपने आप में स्वतंत्र है, न्यायपालिका का स्वतंत्र होना स्वतः इस बात की मांग करता है कि न्यायपालिका को जवाबदेह होना चाहिए ताकि स्वतंत्रता का अनुप्रयोग उचित दिशा एवं उचित प्रयोजन के अंतर्गत किया जाए।
· न्यायपालिका संविधान का संरक्षक है अतः संविधान के संरक्षक होने के नाते न्यायिक जवाबदेहिता का होना आवश्यक है।
· न्यायपालिका स्वतः अपने आप में प्रजातांत्रिक संरचना का अभिन्न अंग है अतः सरकार के अन्य दो अंगों की तरह न्यायपालिका को भी जवाबदेह होना चाहिए।
· न्यायपालिका के प्रति जन विश्वास को प्रोत्साहित करने हेतु न्यायिक जवाबदेहिता का होना आवश्यक है।
· संविधान के लागू होने से लेकर अब तक कुछ न्यायाधीशों के विरुद्ध भ्रष्टाचार या कदाचार के आरोप लगे हैं जो की स्वतः अपने आप में न्यायिक जवाबदेहिता के महत्त्व को उजागर करते हैं।
· अतः वर्तमान समय में यह आवश्यक है कि न्यायिक जवाबदेहिता के द्वारा न्यायपालिका की स्वतंत्रता को अधिक सुदृढ़ किया जाए।
न्यायिक जवाबदेहिता सुनिश्चित करने के उपाय
न्यायिक जवाबदेहिता को प्राप्त करने के 3 मौलिक माध्यम हो सकते हैं-
· बाह्य उपाय के रूप में विधान संशोधन के माध्यम से;
· बाह्य उपाय के रूप में संसदीय विधि या कानून के द्वारा, ऐसे उपायों को न्यायपालिका मूल ढाँचे के आधार पर असंवैधानिक घोषित करता रहा है।
· आंतरिक उपाय के रूप में न्यायपालिका की अपनी पहल शक्ति के द्वारा, यह सबसे बेहतर और नैतिक तरीका होगा।
इस सन्दर्भ में, अपनी जवाबदेहित को सुनिश्चित करने हेतु स्वयं न्यायपालिका ने कुछ पहलें की हैं जैसे कोलेजियम प्रणाली में अधिक पारदर्शिता लाने का प्रयास,न्यायिक कार्यवाहियों का लाइव प्रसारण एवं प्रकाशन, एवं न्यायाधीशों की संपत्ति एवं देनदारियों का ब्योरा प्रस्तुत करना आदि। न्यायपालिका से इसी प्रकार कि अन्य पहलों की अपेक्षा है ताकि न्यायपालिका को अधिकाधिक जवाबदेह बनाया जा सके।
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