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शहरी शासन सूचकांक

Updated : 4th Oct 2024
शहरी शासन सूचकांक

शहरी शासन सूचकांक

  • शहरी शासन सूचकांक केंद्रीय आवास एवं शहरी मामलों के मंत्रालय के तहत राष्ट्रीय शहरी मामलों के संस्थान (NIUA) और प्रजा फाउंडेशन द्वारा तैयार किया गया है। 

  • इसका उद्देश्य शहरी सरकारों को सशक्त बनाना और स्थानीय शासन में नागरिकों की भागीदारी को बढ़ावा देना है। 

  • यह सूचकांक शहरी शासन को बेहतर बनाने और सरकार की पारदर्शिता एवं जिम्मेदारी सुनिश्चित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल है।

उद्देश्य:

  • शहरी सरकारों को प्रभावी कार्यान्वयन के माध्यम से सशक्त बनाना।

  • नागरिकों की भागीदारी को बढ़ाना, ताकि स्थानीय शासन में उनकी अधिक भागीदारी हो।

मूल्यांकन का आधार:

यह सूचकांक चार प्रमुख स्तंभों और 42 संकेतकों के आधार पर राज्यों का मूल्यांकन करता है:

  1. सशक्त शहरी निर्वाचित प्रतिनिधि एवं विधायी संरचनाएँ।

  2. सशक्त नगर प्रशासन।

  3. सशक्त नागरिक।

  4. राजकोषीय सशक्तीकरण।

सूचकांक के प्रमुख निष्कर्ष:

  • सूचकांक ने 28 राज्यों, 2 केंद्र शासित प्रदेशों और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सहित 31 शहरों को रैंकिंग प्रदान की।

शीर्ष प्रदर्शनकर्ता राज्य/UT:

  1. केरल

  2. ओडिशा

  3. महाराष्ट्र

  4. छत्तीसगढ़

  5. मध्य प्रदेश

निम्न प्रदर्शनकर्ता राज्य/UT:

  1. नागालैंड

  2. मणिपुर

  3. मेघालय

  4. पंजाब

  5. चंडीगढ़

मुख्य चिंताएँ:

  • कमजोर मेयर प्रणाली: कई राज्यों में मेयर की प्रणाली कमजोर है, जिससे शहरों का नेतृत्व और प्रशासनिक कार्य प्रभावित होते हैं।

  • रिक्त पदों की उच्च दर: नगर निगमों में स्वीकृत पदों में रिक्तियां एक बड़ी समस्या बनी हुई हैं। उदाहरण के लिए, पटना में 89% पद रिक्त हैं।

    • अन्य शहरों जैसे अहमदाबाद, गुरुग्राम, शिमला, भोपाल, इम्फाल, आइजोल, अमृतसर, ग्रेटर जयपुर और कोलकाता में भी 40% से अधिक पद रिक्त हैं।

स्वतंत्र कराधान अधिकार:

केवल 12 नगर पालिकाओं (रायपुर, दिल्ली, अहमदाबाद, बेंगलुरु, भोपाल, तिरुवनंतपुरम, मुंबई, आइजोल, चेन्नई, लखनऊ, देहरादून और कोलकाता) के पास राज्य नगरपालिका अधिनियम के अनुसार नए कर लगाने के स्वतंत्र अधिकार हैं।