स्वतंत्रता सेनानी श्यामजी कृष्ण वर्मा
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज क्रांतिकारी स्वतंत्रता सेनानी श्यामजी कृष्ण वर्मा को उनकी जयंती पर श्रद्धांजलि दी है।
श्यामजी कृष्ण वर्मा
श्यामजी कृष्ण वर्मा एक भारतीय क्रांतिकारी सेनानी, देशभक्त, वकील और पत्रकार थे, जिन्होंने भारत की आज़ादी के लिए महत्वपूर्ण योगदान दिया। उनका भारतीय जीवन स्वतंत्रता संग्राम में दार्शनिक से क्रांतिकारियों को जोड़ने और प्रेरित करने का प्रतीक है।
श्यामजी कृष्ण वर्मा का जन्म 4 अक्टूबर 1857 को गुजरात मांडवी में श्री कृष्ण वर्मा के यहां हुआ था।
उन्होंने ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय से 1883 ई. में बी.ए. किया,
भारत में उच्च शिक्षा प्राप्त करने से पहले भारतीयों में से एक थे
स्वतंत्रता संग्राम में योगदान :
1888 में अजमेर में अविश्वास के दौरान श्यामजी ने स्वराज के लिए कार्य शुरू किया। वे अजमेर नगर समिति के पहले भारतीय अध्यक्ष बने।
वे बाल गंगाधर तिलक और स्वामी दयानंद सरस्वती से प्रभावित थे, और आर्य समाज के सक्रिय सदस्य भी थे।
1875 में जब स्वामी दयानंद जी ने बॉम्बे (अब मुंबई ) में आर्य समाज की स्थापना की, तो श्यामजी कृष्ण वर्मा सबसे पहले इसके सदस्य बने ।
उन्होंने लंदन में इंडियन होम रूल सोसाइटी, इंडिया हाउस और द इंडियन सोशियोलॉजिस्ट की स्थापना की।
उन्होंने व्यावर में कृष्णा कॉटन मिल की स्थापना में भी मदद की ।
अंग्रेजों की आलोचना के बाद इंग्लैंड से पेरिस चले गए।
प्रथम विश्व युद्ध (1914-18) छिड़ने के बाद वे स्विट्जरलैंड के जिनेवा चले गए और अपना शेष जीवन वहीं बिताया।
1918 के बर्लिन और इंग्लैंड में हुए विद्या सम्मेलनों में उन्होंने भारत का प्रतिनिधित्व किया था।
31 मार्च, 1930 को जिनेवा के एक अस्पताल में श्यामजी कृष्ण वर्मा का निधन हो गया था।
2003 में, मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी ने जिनेवा से श्यामजी की अस्थियां भारत लाईं और उन्हें सम्मान दिया।
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