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प्रधानमंत्री मोदी ने सुप्रीम कोर्ट के 75 वर्ष पूरे होने पर स्मारक डाक टिकट जारी किया

Updated : 4th Sep 2024
प्रधानमंत्री मोदी ने सुप्रीम कोर्ट के 75 वर्ष पूरे होने पर स्मारक डाक टिकट जारी किया

प्रधानमंत्री मोदी ने सुप्रीम कोर्ट के 75 वर्ष पूरे होने पर स्मारक डाक टिकट जारी किया

  • नई दिल्ली के भारत मंडपम में आयोजित जिला न्यायाधीश सम्मेलन के उद्घाटन सत्र के दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने सुप्रीम कोर्ट के 75 वर्ष पूरे होने पर स्मारक डाक टिकट जारी किया। 

  • इस कार्यक्रम में सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश डॉ. डीवाई चंद्रचूड़, विधि एवं न्याय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल और अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे । 

 

सुप्रीम कोर्ट के विषय में प्रमुख बिन्दु 

  • सर्वोच्च न्यायालय की स्थापना 28 जनवरी, 1950 को भारत में सर्वोच्च न्यायिक मंच और अंतिम अपील न्यायालय के रूप में की गई थी।

  • प्रथम मुख्य न्यायाधीश हरिलाल जेकिसुनदास कनिया थे।

  • सर्वोच्च न्यायालय नई दिल्ली में स्थित है

  • भारत के प्रथम राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने 4 अगस्त 1958 को  भारत के सर्वोच्च न्यायालय के वर्तमान भवन का उद्घाटन किया।

 

अधिकार और कार्यक्षेत्र

  1. संविधान की व्याख्या: सुप्रीम कोर्ट संविधान की व्याख्या और लागू करने का अधिकार रखता है। यह संविधान की मूल संरचना की रक्षा करता है और संवैधानिक विवादों का समाधान करता है।

  2. मूल अधिकारों की सुरक्षा: सुप्रीम कोर्ट नागरिकों के मौलिक अधिकारों की रक्षा करता है। अगर किसी व्यक्ति का मौलिक अधिकार उल्लंघन का दावा करता है, तो वह सीधे सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर सकता है।

  3. अपील न्यायालय: सुप्रीम कोर्ट उच्च न्यायालयों के फैसलों के खिलाफ अपील सुनने का अधिकार रखता है। यह पूरे भारत के उच्च न्यायालयों के निर्णयों की समीक्षा कर सकता है।

  4. सलाहकार भूमिका: संविधान के अनुच्छेद 143 के तहत, राष्ट्रपति सुप्रीम कोर्ट से संवैधानिक या कानूनी मुद्दों पर सलाह मांग सकते हैं।

  5. विशेष न्यायालय: सुप्रीम कोर्ट उन मामलों की सुनवाई करता है जो राष्ट्रीय महत्व के होते हैं या जिनमें सार्वजनिक हित शामिल होता है।

  6. जनहित याचिका (पीआईएल): न्यायालय जनहित याचिकाओं पर विचार करता है, जिससे व्यक्तियों या समूहों को व्यापक रूप से जनता को प्रभावित करने वाले मुद्दों के लिए न्यायिक निवारण की अनुमति मिलती है।

 

भारतीय लोकतंल के संरक्षक के रूप में भारतीय न्यायपालिका द्वारा निभाई गई भूमिका

  • केशवानंद भारती श्रीपदगलवरु बनाम केरल राज्य, 1973: "संविधान का मूल ढांचा" सिद्धांत का प्रतिपादन करके संविधान में संशोधन करने की संसद की शक्तियों पर सीमाएं लगाई गई।

  • इंदिरा गांधी बनाम राज नारायण (1975): लोकतेल के सार यानी स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव को बरकरार रखा गया।

  •  एस. आर. बोम्मई बनाम भारत संघ मामला, 1994: अनुच्छेद 356 के तहत राज्य सरकारों की मनमानी बर्खास्तगी को प्रतिबंधित किया गया।

  •  ADR बनाम भारत संघ मामला 2024: चुनावी बॉण्ड योजना को असंवैधानिक घोषित किया गया और राजनीतिक फंडिंग में पारदर्शिता को बरकरार रखा गया।

 

सुप्रीम कोर्ट के समक्ष चुनौतियाँ 

लंबित मामले - 

  • सर्वोच्च न्यायालय के समक्ष लाखों मामले लंबित हैं, जो न्यायिक प्रणाली के लिए बड़ी चुनौती है। वर्ष वर्ष 2023 के अंत में सर्वोच्च न्यायालय में 80,439 मामले लंबित थे।ये मामले न्याय पालिका की विश्वसनीयता और दक्षता को कमजोर करते है । 

न्यायधीशों की नियुक्ति प्रक्रिया - 

  • न्यायाधीशों की नियुक्ति में पारदर्शिता और प्रक्रिया की निष्पक्षता को लेकर समय-समय पर सवाल उठते रहे हैं। कॉलेजियम सिस्टम के तहत न्यायाधीशों की नियुक्ति में सुधार की आवश्यकता महसूस की जा रही है ताकि न्यायपालिका में विश्वास और बढ़ सके। 

न्यायिक अपवंचन की स्थिति 

  • न्यायिक अपवंचन उस स्थिति को संदर्भित करता है जब महत्वपूर्ण और संवेदनशील मामलों को टाला जाता है या उनके निर्णय में अनुचित विलंब होता है। इसके परिणामस्वरूप न्याय की धारणा कमजोर हो सकती है । 

    •  जैसे आधार बायोमेट्रिक ID योजना चुनौती और चुनावी बॉण्ड मामले का निर्णय 

संवेदनशील मुद्दों का प्रबंधन 

  • सर्वोच्च न्यायालय को समय-समय पर ऐसे संवेदनशील मामलों का सामना करना पड़ता है जो राजनीतिक और सामाजिक दृष्टि से अत्यधिक विवादास्पद होते हैं। इन मामलों में तटस्थ और निष्पक्ष निर्णय देना न्यायपालिका के लिए चुनौतीपूर्ण होता है।

हितों का टकराव और ईमानदारी: 

  • सर्वोच्च न्यायालय सहित न्यायपालिका के भीतर भ्रष्टाचार के आरोप इसकी सत्यनिष्ठा और सार्वजनिक विश्वास के लिये चुनौतियाँ पेश करते हैं।

 

आगे की राह 

  1. उन्नत केस प्रबंधन तकनीकें: मामलों की प्रक्रिया को सुव्यवस्थित करने के लिए उन्नत केस प्रबंधन तकनीकों को लागू करना आवश्यक है।

  2. ई-कोर्ट परियोजना: यह परियोजना न्यायालय संचालन को डिजिटल और स्वचालित बनाने का उद्देश्य रखती है, जो केस बैकलॉग को प्रबंधित करने और विलंब को कम करने में सहायक हो सकती है।

  3. केस मैनेजमेंट सिस्टम (CMS): सर्वोच्च न्यायालय की CMS के उपयोग का विस्तार मामलों की ट्रैकिंग और प्रबंधन को बढ़ा सकता है।

  4. जवाबदेही उपाय: न्यायाधीशों के लिए सख्त जवाबदेही उपाय लागू किए जाने चाहिए

राष्ट्रपति ने अखिल भारतीय स्तर पर न्यायिक भर्ती का आह्वान किया है, जिससे विभिन्न राज्यों में एकरूपता और गुणवत्ता सुनिश्चित हो सके।