मारबर्ग वायरस रोग
हाल ही में मारबर्ग वायरस के कारण रवांडा में छह लोगों की मौत हो गई
मारबर्ग वायरस रोग (Marburg Virus Disease) एक गंभीर और दुर्लभ रक्तस्रावी बुखार है जो मारबर्ग वायरस के कारण होता है। यह वायरस जूनोटिक RNA वायरस है, जिसका मतलब है कि यह जानवरों से मानवों में फैल सकता है। यहाँ इस रोग की कुछ महत्वपूर्ण जानकारी प्रस्तुत की गई है:
नाम: इसका नाम जर्मन शहर मारबर्ग से लिया गया है, जहाँ 1967 में पहली बार इसका पहचान हुई थी।
परिवार: यह वायरस फिलोविरिडे परिवार का सदस्य है, जिसमें इबोला वायरस भी शामिल है।
संक्रमण का स्रोत: यह वायरस आमतौर पर चमगादड़ों से मनुष्यों में फैलता है।
फैलने का तरीका: एक बार जब कोई व्यक्ति संक्रमित हो जाता है, तो यह संक्रमित व्यक्ति के रक्त या अन्य शारीरिक तरल पदार्थों के साथ सीधे संपर्क के माध्यम से अन्य व्यक्तियों में फैल सकता है।
मारबर्ग वायरस रोग के लक्षण संक्रमित होने के बाद 2-21 दिनों के भीतर विकसित हो सकते हैं और इनमें शामिल हैं:
उच्च बुखार
ठंड लगना
सिरदर्द
मांसपेशियों में दर्द
चपटे और उभरे हुए दाने
सीने में दर्द
गले में खराश
मतली
उल्टी
दस्त
वर्तमान में, मारबर्ग रोग के लिए कोई विशिष्ट उपचार या टीका उपलब्ध नहीं है।
इस रोग में मृत्यु दर लगभग 50% होती है, लेकिन यह दर भिन्न हो सकती है, जो संक्रमण के प्रकोप के आधार पर निर्भर करती है।
मारबर्ग वायरस रोग एक गंभीर स्वास्थ्य चिंता है, और इसके लक्षणों की पहचान और तात्कालिक चिकित्सा सहायता अत्यंत महत्वपूर्ण है। यदि किसी व्यक्ति को इसके लक्षण महसूस होते हैं, तो उसे तुरंत चिकित्सा सहायता लेनी चाहिए।
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