केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 3 अक्टूबर, 2024 को मराठी, बंगाली, असमिया, पाली और प्राकृत को शास्त्रीय भाषा का दर्जा देने को मंजूरीप्रदान की है ।
शास्त्रीय भाषाओं" की अवधारणा 2004 में स्थापित की गई थी, जिसमें तमिल को पहली शास्त्रीय भाषा के रूप में मान्यता दी गई थी। इसके बाद संस्कृत, तेलुगु, कन्नड़, मलयालम और ओडिया को भी शास्त्रीय दर्जा मिला। इस दर्जे के मानदंडों में निम्नलिखित शर्तें शामिल हैं:
प्राचीनता: भाषा के प्राचीन ग्रंथ 1500-2000 साल या उससे अधिक पुराने होने चाहिए।
साहित्यिक समृद्धि: प्राचीन साहित्य का समृद्ध भंडार होना चाहिए।
विशिष्ट साहित्यिक परंपरा: ऐसी साहित्यिक परंपरा होनी चाहिए जो अन्य भाषाओं के साथ मिश्रित न हो।
2024 में साहित्य अकादमी की भाषाई विशेषज्ञ समिति (LEC) द्वारा सिफारिश के बाद मराठी, पाली, प्राकृत, असमिया और बंगाली को शास्त्रीय भाषा का दर्जा देने की सिफारिश की गई, जिसे सरकार ने मंजूरी दे दी है।
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