अंतरराष्ट्रीय वृद्धजन दिवस
1 अक्टूबर 2024 को दुनिया भर में 34वां अंतरराष्ट्रीय वृद्धजन दिवस मनाया जाता है । इस दिन का उद्देश्य 21वीं सदी में बढ़ती उम्र की आबादी के सामने आने वाली चुनौतियों और अवसरों पर ध्यान केंद्रित करना है
परिभाषा:
संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, 65 वर्ष या उससे अधिक आयु के व्यक्ति को वृद्ध माना जाता है।
भारत में, 60 वर्ष या उससे अधिक आयु के व्यक्ति को वरिष्ठ नागरिक माना जाता है।
संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 14 दिसंबर 1990 को 1 अक्टूबर को अंतर्राष्ट्रीय वृद्धजन दिवस के रूप में मनाने का प्रस्ताव पारित किया।
पहला अंतर्राष्ट्रीय वृद्धजन दिवस 1 अक्टूबर 1991 को मनाया गया था।
इस वर्ष का विषय है: "सम्मान के साथ वृद्धावस्था जीना: विश्वभर में वृद्धजनों के लिए देखभाल और सहायता प्रणालियों को सुदृढ़ बनाने का महत्व"।
भारत में अंतर्राष्ट्रीय वृद्धजन दिवस को केंद्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय द्वारा मनाया जाता है, जो वरिष्ठ नागरिकों के लिए नोडल मंत्रालय है। इस दिवस पर वरिष्ठ नागरिकों के अधिकारों, उनके योगदान, और उनके लिए कल्याणकारी योजनाओं पर विशेष ध्यान दिया जाता है।
वर्ष 2005 में मंत्रालय ने वरिष्ठ नागरिकों और संस्थाओं के लिए बुजुर्गों की सेवा को मान्यता देने के लिए वयोश्रेष्ठ सम्मान की शुरुआत की थी।
वर्ष 2013 में इसे "राष्ट्रीय पुरस्कार" का दर्जा दिया गया।
यह पुरस्कार उन प्रतिष्ठित वरिष्ठ नागरिकों और संस्थाओं को दिया जाता है जिन्होंने बुजुर्गों के समग्र कल्याण में विशेष योगदान दिया है।
वयोश्रेष्ठ सम्मान तेरह श्रेणियों में प्रदान किया जाता है, जिसमें समाज के बुजुर्गों के प्रति सेवा और उनके जीवन स्तर को बेहतर बनाने वाले व्यक्तियों और संस्थाओं को सम्मानित किया जाता है।
इस वर्ष, यह पुरस्कार नई दिल्ली में एक समारोह के दौरान प्रदान किया जाएगा, जिसमें केंद्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री डॉ. वीरेंद्र कुमार मुख्य अतिथि होंगे। इस आयोजन का उद्देश्य न केवल बुजुर्गों के योगदान को सम्मानित करना है, बल्कि समाज में उनके कल्याण के प्रति जागरूकता भी बढ़ाना है।
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