1- डार्ट मिशन
यह नासा का एक अंतरिक्ष यान है जिसे परीक्षण के रूप में एक क्षुद्रग्रह को प्रभावित करने के लिए डिज़ाइन किया गया है।
यह किसी क्षुद्र ग्रहो की गति एवं दिशा मे परिवर्तन करने के लिए पहला प्रयास है ।
यह एक खतरनाक क्षुद्रग्रह द्वारा पृथ्वी पर पड़ने वाले प्रभाव को रोकने के लिए ग्रह रक्षा-संचालित प्रौध्योगिकी परीक्षण है।
यह क्षुद्र ग्रह चाँदनी डिमोफोर्स को प्रभावित करेगा जो एक बड़े क्षुद्रग्रह डिडिमोस की परिक्रमा कर रहा है ।
यह एलेन मस्क की कंपनी स्पेसएक्स की फाल्कन-9 द्वारा अन्तरिक्ष मे छोड़ा जाएगा ।
2-डोलू कुनिथा नृत्य
यह कर्नाटक मे प्रचलित ढ़ोल की थाप पर किया जाने वाला लोक नृत्य है ।
यह नृत्य बिरेश्वरा संप्रदाय के कुरुबा(चरवाहा समुदाय ) मे लोकप्रिय है ।
डोलू कुनिथा आदिवासियों के अनुष्ठानिक नृत्य का एक हिस्सा है ।
इस नृत्य मे ढ़ोल को रंगीन कपड़ो से सजाया जाता है तथा ढ़ोल को पुरुष गले में लटकाते है ।
इस नृत्य में मुख्य ज़ोर पाँव एवं कदमों के सहज और त्वरित संचलन पर दिया जाता है ।
हाल ही मे इसी पर आधारित डोलू कन्नड फिल्म का निर्माण किया गया । जिसमे यह दिखाया गया की कैसे शहरीकरण ने स्वदेशी लोक कल शैलियों को नुकसान पहुंचाया है ।
3- वायुमंडल और जलवायु अनुसंधान-मॉडलिंग प्रेक्षण प्रणाली एवं सेवाओं (एक्रॉस)-
एक्रॉस योजना, पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय (एमओईएस) के वायुमंडलीय विज्ञान कार्यक्रमों से संबंधित है और यह मौसम एवं जलवायु से जुड़ी सेवाओं के विभिन्न पहलुओं पर ध्यान देती है।
प्रत्येक पहलू को “एक्रॉस” की समग्र योजना के तहत आठ उप-योजनाओं के रूप में शामिल किया गया है ।
इनका कार्यान्वयन चार संस्थानों के माध्यम से एकीकृत तरीके से किया जाता है-
1-भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी),
2-राष्ट्रीय मध्यम अवधि मौसम पूर्वानुमान केंद्र (एनसीएमआरडब्ल्यूएफ),
3-भारतीय उष्णदेशीय मौसम विज्ञान संस्थान (आईआईटीएम)
4-भारतीय राष्ट्रीय महासागर सूचना सेवा केंद्र (आईएनसीओआईएस)
कार्यान्वयन की रणनीति और लक्ष्य:
एक्रॉस योजना के तहत आने वाली आठ उप-योजनाएं अपनी प्रकृति में बहुआयामी हैं और उन्हें मौसम एवं जलवायु के सभी पहलुओं को कवर करने के लिए निम्नलिखित आठ योजनाओं के माध्यम से उपरोक्त कार्यों को पूरा करने में इनमें से प्रत्येक संस्थान की एक निर्दिष्ट भूमिका है-
(i) पोलारिमेट्रिक डॉपलर मौसम रडार (डीडब्ल्यूआर) की शुरुआत-आईएमडी
(ii) पूर्वानुमान प्रणाली का उन्नयन-आईएमडी
(iii) मौसम एवं जलवायु से जुड़ी सेवाएं-आईएमडी
(iv) वायुमंडलीय प्रेक्षण नेटवर्क-आईएमडी
(v) मौसम एवं जलवायु की संख्यात्मक मॉडलिंग -एनसीएमआरडब्ल्यूएफ
(vi) मानसून मिशन III- आईआईटीएम /एनसीएमआरडब्ल्यूएफ/ आईएनसीओआईएस/ आईएमडी
(vii) मानसून संवहन, बादल और जलवायु परिवर्तन (एमसी4)-आईआईटीएम/ एनसीएमआरडब्ल्यूएफ/आईएमडी
(viii) उच्च प्रदर्शन वाली कंप्यूटिंग प्रणाली (एचपीसीएस)-आईआईटीएम/एनसीएमआरडब्ल्यूएफ
लाभ -
यह योजना बेहतर तरीके से मौसम, जलवायु एवं समुद्र के बारे में पूर्वानुमान एवं सेवाएं और अन्य जोखिम संबंधी सेवाएं प्रदान करेगी ।
इससे सार्वजनिक मौसम सेवा, कृषि-मौसम विज्ञान सेवाओं, विमानन सेवाओं, पर्यावरण निगरानी सेवाओं, जल-मौसम विज्ञान सेवाओं, जलवायु सेवाओं, पर्यटन, तीर्थयात्रा, बिजली उत्पादन, जल प्रबंधन, खेल और रोमांच आदि से संबंधित लाभ पर्याप्त रूप से सुनिश्चित होगी।
रोजगार सृजन भी होगा ।
4 -समुद्री सेवाएं, मॉडलिंग, अनुप्रयोग, संसाधन और प्रौद्योगिकी (ओ-स्मार्ट)"
-ओ-स्मार्ट एक बहु-विषयक सतत योजना है । इसमे 7 उप योजनाएँ शामिल है ।
- 2021-26 की अवधि के दौरान जारी रखने की मंजूरी प्रदान की गई ।
इसमें 7 उप योजनाओ का संचालन निम्नलिखित संस्थानो द्वारा किया जा रहा है -
1-राष्ट्रीय समुद्री प्रौद्योगिकी संस्थान (एनआईओटी), चेन्नई।
2-भारतीय राष्ट्रीय समुद्री सूचना सेवा केंद्र (आईएनसीओआईएस), हैदराबाद।
3- राष्ट्रीय ध्रुवीय एवं समुद्री अनुसंधान केंद्र (एनसीपीओआर), गोवा,।
4-समुद्री सजीव संसाधन एवं इकोलॉजी केंद्र (सीएमएलआरई), कोच्चि।
5- राष्ट्रीय तटीय अनुसंधान केंद्र (एनसीसीआर), चेन्नई ।
उद्देश्य -
- महासागरो का अवलोकन ।
-प्रौद्योगिकियों विकास तथा समुद्री संसाधनों (सजीव और निर्जीव दोनों) का दोहन ।
-समुद्र विज्ञान में अग्रणी अनुसंधान को बढ़ावा देना ।
-सतत पूर्वानुमान और सेवाएं प्रदान करना ।
लाभ-
1-अनुसंधान एवं प्रौद्योगिकी विकास गतिविधियों से अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर समुद्र विज्ञान के क्षेत्र में राष्ट्र की क्षमता निर्माण में वृद्धि होगी।
2-वर्तमान दशक को संयुक्त राष्ट्र (यूएन) द्वारा सतत विकास के लिए समुद्र विज्ञान के दशक के रूप में घोषित किया गया है और इस योजना को जारी रखने से वैश्विक समुद्र विज्ञान अनुसंधान और प्रौद्योगिकी विकास में हमारा निश्चय मजबूत होगा।
3-नीली अर्थव्यवस्था के विकास को बल मिलेगा ।
4- तटीय अनुसंधान और समुद्री जैव विविधता संबंधी गतिविधियों को बल ।
5-महासागरों, समुद्रों और समुद्री संसाधनों के संरक्षण और सतत उपयोग के लिए संयुक्त राष्ट्र के सतत विकास लक्ष्य-14 को प्राप्त करने के प्रयासों को बल मिलेगा ।
6-समुद्री चेतावनी सेवाओं और प्रौद्योगिकियों के माध्यम लोगो को जानकारी प्राप्त होगी ।
5- भारत सरकार और एशियाई विकास बैंक (एडीबी) के बीच 300 मिलियन डॉलर के ऋण पर हस्ताक्षर हुए ।
-इस रिन का इस्तेमाल 13 राज्यों के शहरी क्षेत्रों में व्यापक प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल की पहुंच को मजबूत करने और बेहतर बनाने के लिए किया जाएगा ।
-इससे स्लम क्षेत्रों के 51 मिलियन निवासियों सहित 256 मिलियन से अधिक शहरी निवासियों को लाभ मिलेगा।।
-इस राशि का इस्तेमाल आयुष्मान भारत स्वास्थ्य और कल्याण केन्द्र (एबी-एचडब्ल्यूसी) और प्रधानमंत्री आत्मनिर्भर स्वस्थ भारत योजना (पीएम-एएसबीवाई)– जिसे अब प्रधानमंत्री आयुष्मान भारत -स्वास्थ्य अवसंरचना मिशन (पीएम-एबीएचआईएम)– का नया नाम दिया गया है, में सहायता प्रदान करने के लिए किया जाएगा ।
-यह विशेष रूप से शहरी क्षेत्रों में वंचित आबादी के लिए गुणवत्तायुक्त प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल सेवाओं की उपलब्धता और पहुंच का विस्तार करेगा।
6 -राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (एनएफएचएस-5 )फैक्टशीट
• कुल प्रजनन दर (टीएफआर), राष्ट्रीय स्तर पर प्रति महिला बच्चों की औसत संख्या 2.2 से घटकर 2.0 हो गई है। मध्य प्रदेश, राजस्थान, झारखंड और उत्तर प्रदेश को छोड़कर सभी चरण-II राज्यों ने प्रजनन क्षमता का प्रतिस्थापन स्तर (2.1) हासिल कर लिया है।
• समग्र गर्भनिरोधक प्रसार दर (सीपीआर) अखिल भारतीय स्तर पर और पंजाब को छोड़कर लगभग सभी चरण-II राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में 54 प्रतिशत से 67 प्रतिशत तक बढ़ गई है। लगभग सभी राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में गर्भ निरोधकों के आधुनिक तरीकों का उपयोग भी बढ़ा है।
• 12-23 महीने की आयु के बच्चों के बीच पूर्ण टीकाकरण अभियान में अखिल भारतीय स्तर पर 62 प्रतिशत से 76 प्रतिशत तक पर्याप्त सुधार दर्ज किया गया है।
एनएफएचएस-4 और एनएफएचएस-5 डेटा की तुलना करने पर, कई राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में पूर्ण टीकाकरण कवरेज में तेजवृद्धि देखी गई है; चरण- II के 50 प्रतिशत से अधिक राज्य/केंद्र शासित प्रदेश 4 वर्षों की छोटी अवधि के दौरान 10 प्रतिशत से अधिक प्वाइंट साझा कर रहे हैं। इसका श्रेयसरकार द्वारा 2015 से शुरू किए गए मिशन इंद्रधनुष की प्रमुख पहल को दिया जा सकता है।
• अखिल भारतीय स्तर पर अस्पतालों में जन्म 79 प्रतिशत से बढ़कर 89 प्रतिशत हो गए हैं। पुद्दुचेरी और तमिलनाडु में अस्पतालों में प्रसव 100 प्रतिशत है।
• बच्चों और महिलाओं में एनीमिया चिंता का विषय बना हुआ है। एनएफएचएस-4 की तुलना में सभी चरण-II राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों और अखिल भारतीय स्तर पर गर्भवती महिलाओं द्वारा 180 दिनों या उससे अधिक समय तक आयरन फोलिक एसिड (आईएफए) गोलियों के सेवन के बावजूदआधे से अधिक बच्चे और महिलाएं (गर्भवती महिलाओं सहित) एनीमिया से ग्रस्त हैं।
• अखिल भारतीय स्तर पर महिलाओं के बैंक खाते संचालित करने के संबंध में एनएफएचएस-4 और एनएफएचएस-5 के बीच उल्लेखनीय प्रगति 53 प्रतिशत से 79 प्रतिशत तक दर्ज की गई है।
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