Back to Blogs

17 मई 2024 समसामयिकी | 17 May 2024 Current Affairs in Hindi

Updated : 18th May 2024
17 मई 2024 समसामयिकी | 17 May 2024 Current Affairs in Hindi

17 मई 2024 समसामयिकी

संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (UNEP)

· 134 मिलियन डॉलर की लागत से UNEP ने स्वास्थ्य देखभाल परियोजना में पारा आधारित मापन यंत्रों को चरणबद्ध तरीके से समाप्त करने वाली पहल शुरू की

परियोजना के विषय में

इस परियोजना का उद्देश्य

  • पारा (Mercury) आधारित थर्मामीटर और स्फिग्मोमैनोमीटर के उपयोग को प्रतिवर्ष 20% की दर से कम करना और पारे के रिसाव को कम करना।
  • पारा युक्त चिकित्सा अपशिष्ट के प्रबंधन में सुधार करना। साथ ही सटीक, किफायती और सुरक्षित पारा- मुक्त विकल्प अपनाने को प्रोत्साहित करना।
  • सदस्य देशः अल्बानिया, बुर्किना फासो, भारत, मोंटेनेग्रो और युगांडा।
  • वित्त-पोषणः वैश्विक पर्यावरण सुविधा (GEF) द्वारा वित्त पोषित
  • क्रियान्वयनः विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) इस परियोजना का क्रियान्वयन करेगा।

स्रोतः

  • सोने की खदानें, कोयला आधारित ताप विद्युत संयंत्न, ज्वालामुखीय उद्गार आदि।

पारे (Mercury) के बारे में

  • यह एकमात्र धातु है, जो सामान्य तापमान (Room temperature) पर तरल अवस्था में पाई जाती है।
  • पारा प्राकृतिक रूप से पाया जाने वाला एक तत्व है। यह वायु, जल और मृदा में पाया जाता है।
  • यह एक स्थायी, जैव-संचयी (Bio-accumulative) व विषाक्त प्रदूषक है।
  • सभी मनुष्य किसी न किसी तरीके से अत्यल्प मात्ना (निम्न स्तर) में पारे का अंतर्ग्रहण (Intake) कर लेते हैं।

उदाहरण के लिए मछली के सेवन, प्रसाधन सामग्री के उपयोग आदि से पारा हमारे शरीर में प्रवेश कर जाता है।

  • कई देशों और अंतर्राष्ट्रीय संगठनों ने दैनिक या साप्ताहिक मिथाइल-मरकरी या मरकरी के इनटेक के लिए सुरक्षित स्तर स्थापित किए हैं। इन स्तरों को सुरक्षित (या स्वास्थ्य के लिए बड़े जोखिम से रहित) माना जाता है।

प्रभावः

  • यह तंत्रिका तेल, पाचन तेल, थायरॉयड, लिवर, फेफड़े, किडनी, प्रतिरक्षा प्रणाली, आंखों, मसूड़ों और त्वचा पर विषाक्त प्रभाव डाल सकता है।
  • मिनामाता रोग तंत्रिका संबंधी क्रॉनिक बीमारी है। यह रोग मिथाइल-मरकरी के कारण होता है, जो विविध औद्योगिक उपयोगों वाली भारी धातु है।
  • पर्यावरण में मुक्त किए जाने पर, यह पानी में जमा तलछट में निक्षेपित हो जाता है। इस तलछट में यह विषाक्त मिथाइल-मरकरी में परिवर्तित हो जाता है और खाद्य श्रृंखला में प्रवेश कर जाता है।

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने डेंगू की नई वैक्सीन TAK-003 को प्रीक्वालिफाई किया

  • TAK-003 एक प्रकार की लाइव एटेन्युएटेड वैक्सीन है जिसे जापान की फार्मा कंपनी टेकेडा ने विकसित की है।
  • इस वैक्सीन को डेंगू बीमारी के लिए जिम्मेदार वायरस के चार सीरोटाइप्स के दुर्बल संस्करण से तैयार किया गया है।
  • दुनिया भर में हर साल 10 से 40 करोड़ से अधिक लोग डेंगू की चपेट में आते हैं। 3.8 अरब लोग डेंगू प्रभावित देशों में रहते हैं, जिनमें से अधिकांश एशिया, अफ्रीका और अमेरिका में हैं।

सीरोटाइप क्या है

  • सीरोटाइप वास्तव में बैक्टीरिया या वायरस जैसे सूक्ष्मजीवों को उनकी सतहों पर पाए जाने वाले एंटीजन या अन्य अणुओं के आधार पर समूह में बांटने का एक तरीका है।

TAK-003 के विषय में

  • यह वैक्सीन WHO की प्रीक्वालिफिकेशन प्राप्त करने वाली डेंगू की दूसरी वैक्सीन है। ऐसी पहली वैक्सीन CYD- TDV थी।
  • WHO ने डेंगू के अधिक मामले वाले और संचरण की उच्च तीव्रता वाले क्षेत्रों में 6-16 वर्ष की आयु के बालकों को यह वैक्सीन देने की सिफारिश की है।

WHO वैक्सीन प्रीक्वालिफिकेशन के विषय में :

  • यह प्रक्रिया 1987 में अपनाई गई थी। इसका उद्देश्य वैक्सीन की खरीदारी करने वाली संयुक्त राष्ट्र एजेंसियों द्वारा वितरित वैक्सीन की गुणवत्ता सुनिश्चित करना है।
  • यह वास्तव में सकारात्मक परिणाम देने वाली वैक्सीन्स की एक सूची है। प्रासंगिक डेटा के मूल्यांकन, वैक्सीन सैंपल के परीक्षण और वैक्सीन विनिर्माण केंद्रों के WHO द्वारा निरीक्षण के बाद वैक्सीन को इस सूची में शामिल किया जाता है।
  • इस सूची में शामिल होने का यह अर्थ नहीं है कि WHO ने वैक्सीन और विनिर्माण केंद्रों को मंजूरी दे दी है।
  • इस तरह की मंजूरी देना देशों के राष्ट्रीय विनियामक प्राधिकरणों का अनन्य अधिकार है।
  • फिर भी, प्रीक्वालिफिकेशन प्रक्रिया वैक्सीन की विश्व भर में उपलब्धता बढ़ाने में एक महत्वपूर्ण कदम जरूर है। इस प्रक्रिया के बाद यूनिसेफ और पैन अमेरिकन हेल्थ ऑर्गनाइजेशन (PAHO) सहित संयुक्त राष्ट्र की अन्य एजेंसियों को वैक्सीन खरीदने की अनुमति मिल जाती है।
  • अन्य वेक्टर जनित रोग जिनके खिलाफ वैक्सीन इस सूची में शामिल हैं- मलेरिया, येलो फीवर, जापानी एन्सेफलाइटिस, रेबीज आदि।

संगमः डिजिटल द्विन पहल

  • संचार मंत्रालय ने "संगम पहलः AI-संचालित अवसंरचना बदलाव की ओर छलांग" के लिए चरण - 1 में चयनित प्रतिभागियों के नामों की घोषणा की है।

संगमः डिजिटल द्विन पहल के बारे में

  • यह एक प्रकार का प्रूफ ऑफ कॉन्सेप्ट है। यह डिजिटल द्विन तकनीक का लाभ उठाकर दूरसंचार अवसंरचना की योजना बनाने और उसके डिजाइन में क्रांति लाने पर केंद्रित है।
  • इस पहल के तहत वास्तविक विश्व का सटीक और गतिशील डिजिटल मॉडल बनाया जाएगा।
  • इस पहल का उद्देश्य डिजिटल द्विन और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस; इंटरनेट ऑफ थिंग्स; 5G व 6G; तथा अगली पीढ़ी की कम्प्यूटेशनल प्रौद्योगिकियों की क्षमताओं को आपस में जोड़ना है।
  • डिजिटल दिन एक वर्चुअल मॉडल है। डिजिटल द्विन वास्तविक जगत की किसी वस्तु / ऑब्जेक्ट, व्यक्ति या प्रक्रिया की डिजिटल रूप में प्रस्तुति है।
  • यह पहल अवसंरचना परियोजनाओं की दक्षता और सटीकता को बढ़ाएगी।

आंतरिक विस्थापन पर वैश्विक रिपोर्ट 2024

  • आंतरिक रूप से विस्थापित लोग (IDPs) वे लोग हैं, जिन्हें किन्हीं प्रतिकूल कारकों की वजह से अपने निवास स्थानों से पलायन करने के लिए मजबूर होना पड़ा है। ये शरणार्थी नहीं है । क्योंकि ये अपने ही देश में एक स्थानसे दूसरे स्थान पर विस्थापित हुए है ।
  • इस रिपोर्ट को आंतरिक विस्थापन निगरानी केंद्र (IDMC) द्वारा जारी किया गया ।

रिपोर्ट में मुख्य तथ्य :

  • 2023 के अंत तक के आंकड़ों के अनुसार वैश्विक स्तर पर 75.9 मिलियन लोग आंतरिक रूप से विस्थापित हुए थे। 2022 में यह आंकड़ा 71.1 मिलियन पर था।
  • संघर्ष और हिंसा के कारण 68.3 मिलियन लोग आंतरिक रूप से विस्थापित हुए थे।
  • इनमें से लगभग आधे सूडान, सीरिया, डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ कांगो (DRC), कोलंबिया और यमन से हैं।
  • दक्षिण एशिया में, मणिपुर का ऐसे विस्थापितों में बड़ा योगदान है।
  • आंतरिक विस्थापन से जुड़ी अधिकांश विपदा चीन और तुर्किए में खराब मौसम तथा उच्च तीव्रता वाले भूकंपों के कारण हुई है।

भारत की स्थिति :

  • जेनेवा के आंतरिक विस्थापन निगरानी केंद्र (आईडीएमसी) की रिपोर्ट में दिल्ली को बाढ़ विस्थापन का हॉटस्पॉट बताया गया है।
  • आईडीएमसी की रिपोर्ट में बताया गया है कि जून 2023 में असम में प्राकृतिक आपदाओं के कारण 20 जिले प्रभावित हुए और लगभग 91,000 लोग विस्थापित किए गए।
  • इसके अलावा 2023 में अरब सागर में बिपरजॉय तूफान की वजह से गुजरात और राजस्थान में करीब 105,000 विस्थापन हुए।

पारिस्थितिक रूप से संवेदनशील क्षेत्र (ESZ)

  • सुप्रीम कोर्ट ने अपने 2023 के आदेश के तहत राजस्थान में सरिस्का टाइगर रिजर्व के 1 किलोमीटर के दायरे में सभी खनन गतिविधियों पर रोक लगा दी है।
  •  2023 में सुप्रीम कोर्ट ने अपने 2022 के निर्देश को संशोधित किया था। इस 2022 के निर्देश में राज्यों को संरक्षित वनों के आसपास 1 किमी के दायरे को ESZ अधिसूचित करने का आदेश दिया गया था।
  • 2023 के संशोधित आदेश में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ESZ सभी संरक्षित वनों के लिए समान नहीं हो सकते हैं और अलग-अलग वनों के लिए ESZ अलग-अलग हो सकते हैं। हालांकि, इसने ऐसे संरक्षित क्षेत्रों के आसपास के 1 किलोमीटर के दायरे में किसी भी खनन गतिविधि पर रोक लगा दी है

पारिस्थितिक रूप से संवेदनशील क्षेल (ESZ) के बारे में

  •  ESZ. संरक्षित क्षेलों के आसपास पारिस्थितिक रूप से महत्वपूर्ण और नाजुक क्षेल होते हैं।
  •  ESZs को पर्यावरण संरक्षण अधिनियम, 1986 के तहत केंद्र सरकार अधिसूचित करती है।
  • इन्हें संरक्षित क्षेत्रों के नाजुक पारिस्थितिकी तंत्र पर विकासात्मक गतिविधियों के नकारात्मक प्रभाव को कम करने के लिए अधिसूचित किया जाता है।




सॉइल नेलिंग

  • तमिलनाडु सरकार नीलगिरी की मुख्य सड़कों के दोनों ओर मिट्टी की ढलानों को मजबूत या स्थिर करने के लिए सॉइल नेलिंग तकनीक अपना रही है।

सॉइल नेलिंग के बारे में:

  • यह एक भू-तकनीकी इंजीनियरिंग तकनीक है। इसके तहत किसी क्षेत्र में मृदा युक्त संरचनाओं/ ढलानों को मजबूत करने के लिए मिट्टी को मजबूत बनाने वाले तत्वों को मिश्रित किया जाता है।
  • इसके बाद 'हाइड्रोसीडिंग' की जाती है। इसके तहत मिट्टी में बीज, उर्वरक, जैविक सामग्री और पानी का मिश्रण डाला जाता।
  • इससे घास और वनस्पतियों के विकास के लिए अनुकूल सामग्री निर्मित हो जाती है।
  • ये घास और वनस्पतियां मृदा की ऊपरी परत को मजबूत रखने और मृदा अपरदन को रोकने में मदद करती हैं।

काँवर झील या कंवर ताल

  • बिहार के बेगूसराय में स्थित काँवर झील या कंवर ताल सुखती जा रही है।

काँवर झील या कंवर ताल के विषय में

  • यह बिहार के बेगूसराय जिले में स्थित आर्द्रभूमि है।
  • काँवर झील मीठे पानी की एक प्राकृतिक आर्द्रभूमि है। इस झील को गंडक, बाया और करेह नदियों से पानी मिलता है।
  • नवंबर 2020 में, पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (MoEFCC) ने इसे बिहार का पहला रामसर साइट घोषित किया।
  • यह मध्य एशियाईप्रवासी पक्षियों के लिए एक महत्वपूर्ण ठहराव स्थल है। यहां 58 प्रकार के प्रवासी जलपक्षी विराम और भोजन करने के लिए ठहरते हैं।
  • पाँच गंभीर रूप से लुप्तप्राय प्रजातियाँ इस स्थल पर निवास करती हैं, जिनमें तीन गिद्ध शामिल हैं - लाल सिर वाला गिद्ध (सरकोजिप्स कैल्वस), सफेद दुम वाला गिद्ध (जिप्स बेंगालेंसिस) और भारतीय गिद्ध (जिप्स इंडिकस) - और दो जलपक्षी, मिलनसार लैपविंग (वैनेलस ग्रेगेरियस) और बेयर पोचार्ड (अयथ्या बेरी)।
  • महत्त्वः यह झील तलछट के जमाव स्थल के रूप में कार्य करती है। यह कई प्रवासी प्रजातियों के लिए आश्रय स्थल है। यह आजीविका का अवसर उपलब्ध कराती है। यह मछलियों व उभयचरों के जीवन को आधार प्रदान करती है।
  • खतराः जल निकासी तंत्ल, जल की कमी, बांध व नहरों के निर्माण जैसी जल प्रबंधन गतिविधिया आदि।

भारतीय राष्ट्रीय अंतरिक्ष संवर्धन और प्राधिकरण केंद्र (IN-SPACE)

  • जियोस्पेशियल वर्ल्ड फोरम (GWF) ने IN-SPACE को 'लीडरशिप अवार्ड' से सम्मानित किया है। IN-SPACe को यह अवार्ड "लोक नीतिः उद्योग विकास को सक्षम बनाने" की श्रेणी में प्रदान किया गया है।
  • GWF वैश्विक भू-स्थानिक समुदाय का एक इंटरैक्टिव मंच है।

भारतीय राष्ट्रीय अंतरिक्ष संवर्धन और प्राधिकरण केंद्र के विषय में

  • मुख्यालयः अहमदाबाद (गुजरात)
  • उत्पत्तिः इसे अंतरिक्ष क्षेलक में सुधार के एक भाग के रूप में 2020 में स्थापित किया गया था।
  • नोडल विभागः यह अंतरिक्ष विभाग में एक स्वायत्त एजेंसी के रूप में कार्य करती है। यह सिंगल विंडो, स्वतंत्र और नोडल एजेंसी है।
  • उद्देश्यः भारत की अंतरिक्ष संबंधी गतिविधियों में निजी क्षेत्र की भागीदारी को बढ़ाना और सुविधाजनक बनाना।

मुख्य भूमिकाएं:

  • यह गैर-सरकारी एजेंसियों की अलग-अलग अंतरिक्ष संबंधी गतिविधियों को बढ़ावा देने, सहायता करने, अधिकृत करने और निगरानी के लिए जिम्मेदार है।
  • सुस्पष्ट फ्रेमवर्क के माध्यम से देश में अंतरिक्ष संबंधी परिचालनों और सेवाओं को प्रमाणित करता है।

सीसा (Lead)

  • वैज्ञानिकों ने जल में सीसे की माला का पता लगाने और मापने के लिए एक किफायती सेंसर विकसित किया है।

सीसा (Lead) के बारे में:

  • यह पृथ्वी की भूपर्पटी में प्राकृतिक रूप से प्राप्त होने वाली विषाक्त धातु है।
  • शरीर में सीसा ब्रेन, लिवर, किडनी और हड्डियों में पहुंच सकता है। यह धातु दांतों और हड्डियों में समय के साथ संग्रहित होती रहती है।
  • सीसा ऊष्मा का कुचालक है और जल के साथ अभिक्रिया नहीं करता है।
  • सीसे के संपर्क में आने के स्रोतः खनन और धातु गलन उद्योग, इलेक्ट्रॉनिक अपशिष्ट, लेड- एसिड बैटरियों की रीसाइक्लिंग, प्लंबिंग, खिलौने, लेड पेंट आदि।
  • सीसे के संपर्क में आने के दुष्प्रभावः बच्चे के मस्तिष्क व तंत्रिका तंत्र को नुकसान; एनीमिया एवं हाई ब्लड प्रेशर का खतरा, जननांगों में टॉक्सिसिटी आदि।

भारत-अमेरिकी विशेष बलों ने कोलकाता में आयोजित किया संयुक्त आतंकवाद विरोधी अभ्यास 'तरकश':

  • एनएसजी(राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड) और यूएस स्पेशल ऑपरेशंस फोर्स ने शहरी आतंकवाद विरोधी परिदृश्यों में अंतरसंचालनीयता, समन्वय और द्विपक्षीय सहयोग को बढ़ाने, लिए वार्षिक अभ्यास 'तरकश' के लिए कोलकाता में संयुक्त आतंकवाद-रोधी अभ्यास किया।
  • अभ्यास ' तरकश ' का सातवां संस्करण 22 अप्रैल को एनएसजी के कोलकाता केंद्र में शुरू हुआ और 15 मई को समाप्त होगा
  • तीन सप्ताह के अभ्यास में शहरी आतंकवाद विरोधी परिदृश्यों में गहन प्रशिक्षण और मॉक ड्रिल शामिल थे।
  • संयुक्त अभ्यास में शहरी परिवेश में आतंकवाद विरोधी अभियानों के व्यापक स्पेक्ट्रम पर सर्वोत्तम प्रथाओं, रणनीति, तकनीकों और प्रक्रियाओं को साझा करना भी शामिल था, जिसमें करीबी लड़ाई, हस्तक्षेप अभ्यास का निर्माण, बंधक बचाव अभियान, निगरानी, लंबी दूरी की गोलीबारी और जटिल संचालन की योजना बनाना शामिल था।
  • तरकश का पिछला संस्करण - जिसे वर्तमान वैश्विक परिदृश्य में दोनों देशों के सामने आने वाली सुरक्षा चुनौतियों के संदर्भ में महत्वपूर्ण माना जाता है - जनवरी 2023 में चेन्नई में आयोजित किया गया था।

भारतीय फुटबॉल के दिग्गज सुनील छेत्री ने की अपनी सेवानिवृत्ति की घोषणा:

  • भारत के प्रतिष्ठित फुटबॉल आइकन सुनील छेत्री ने सोशल मीडिया के जरिए अंतरराष्ट्रीय फुटबॉल से संन्यास की घोषणा की है |
  • सुनील छेत्री ने 2002 में मोहन बागान क्लब के साथ अपनीपेशेवरकरियर कीशुरुआत की।
  • उन्होंने 2010 में अमरीका की मेजर लीग सॉकर टीम, कैनसस सिटी विजार्ड्स के लिए और 2012 में पुर्तगाली फुटबॉल लीग में स्पोर्टिंग सीपी की रिजर्व टीम के लिए भी खेला है ।
  • सुनील छेत्री ने 2005 में भारत के लिए अपना पहला अंतरराष्ट्रीय मैच पाकिस्तान के खिलाफ खेला और उसी मैच में भारत की वरिष्ठ राष्ट्रीय फुटबॉल टीम के तरफ से खेलते हुए अपना पहला अंतरराष्ट्रीय गोल किया।
  • सक्रिय खिलाड़ियों में सुनील छेत्री अंतरराष्ट्रीय मैचों में तीसरे सबसे ज्यादा गोल करने वाले खिलाड़ी हैं।

अन्य तथ्य:

  • पुर्तगाल के क्रिस्टियानो रोनाल्डो 128 गोल के साथ दुनिया में अग्रणी गोल करने वाले खिलाड़ी हैं।
  • अर्जेंटीना के लियोनेल मेसी 106 अंतरराष्ट्रीय गोल के साथ सूची में दूसरे स्थान पर हैं।
  • सुनील छेत्री 150 अंतरराष्ट्रीय मैचों में 94 गोल के साथ सूची में तीसरे स्थान पर हैं।
  • क्लब स्तर पर, सुनील छेत्री ने 365 मैचों में 158 गोल किए हैं।
  • कुल मिला कर सुनील छेत्री ने अबतक 515 मैचों में 252 गोल किए हैं।

नीरज चोपड़ा ने फेडरेशन कप में 82.27 मीटर थ्रो के साथ जीता स्वर्ण पदक:

  • ओलंपिक चैंपियन नीरज चोपड़ा ने फेडरेशन कप 2024 एथलेटिक्स मीट के पुरुषों के भाला फेंक फाइनल में 82.27 मीटर थ्रो के साथ स्वर्ण पदक अपने नाम किया।

अन्य तथ्य:

  • एशियाई एथलेटिक्स चैंपियनशिप के रजत पदक विजेता डीपी मनु ने कलिंगा स्टेडियम में 82.06 मीटर के साथ रजत पदक जीता, जबकि उत्तम बालासाहेब पाटिल ने 78.39 मीटर के प्रयास के साथ कांस्य पदक जीता।
  • नीरज चोपड़ा ने आखिरी बार 2021 में इसी इवेंट में घरेलू प्रतियोगिता में हिस्सा लिया था, जब उन्होंने 87.80 मीटर
  • थ्रो के साथ स्वर्ण पदक जीता था।
  • तब से, उन्होंने टोक्यो ओलंपिक में ऐतिहासिक स्वर्ण जीता, 2022 में डायमंड लीग चैंपियन बने, 2023 में विश्व चैंपियन बने ।

नोट:नीरज चोपड़ा और किशोर जेना, दोनों एथलीटों ने भारत के लिए पेरिस 2024 ओलंपिक कोटा पहले ही हासिल कर लिया है।